facebookmetapixel
भारत को AI में विश्व नेता बनाना है, लेकिन सहानुभूति भी जरूरी: Mukesh AmbaniEpstein Files: बड़े नाम गायब क्यों, जेफरी एपस्टीन की असली कहानी कब सामने आएगी?दिल्ली एयरपोर्ट पर लो-विजिबिलिटी अलर्ट, इंडिगो ने उड़ानों को लेकर जारी की चेतावनीFD Rates: दिसंबर में एफडी रेट्स 5% से 8% तक, जानें कौन दे रहा सबसे ज्यादा ब्याजट्रंप प्रशासन की कड़ी जांच के बीच गूगल कर्मचारियों को मिली यात्रा चेतावनीभारत और EU पर अमेरिका की नाराजगी, 2026 तक लटक सकता है ट्रेड डील का मामलाIndiGo यात्रियों को देगा मुआवजा, 26 दिसंबर से शुरू होगा भुगतानटेस्ला के सीईओ Elon Musk की करोड़ों की जीत, डेलावेयर कोर्ट ने बहाल किया 55 बिलियन डॉलर का पैकेजत्योहारी सीजन में दोपहिया वाहनों की बिक्री चमकी, ग्रामीण बाजार ने बढ़ाई रफ्तारGlobalLogic का एआई प्रयोग सफल, 50% पीओसी सीधे उत्पादन में

नए जोश के साथ भारत लौट रहे विदेशी ब्रांड, निवेश योजनाओं और कारोबारी रणनीतियों पर फिर से कर रहे विचार

कारफू हो या फोर्ड, कभी यहां से कारोबार समेटने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी रणनीति पर कर रहीं पुनर्विचार

Last Updated- September 19, 2024 | 10:56 PM IST
Foreign brands returning to India with renewed vigor, rethinking investment plans and business strategies नए जोश के साथ भारत लौट रहे विदेशी ब्रांड, निवेश योजनाओं और कारोबारी रणनीतियों पर फिर से कर रहे विचार

लगातार बढ़ती खपत क्षमता को देखते हुए दिग्गज विदेशी कंपनियां भारत में अपने निवेश और कारोबारी रणनीतियों पर दोबारा विचार करने को मजबूर हो रही हैं। दिग्गज सीईओ और व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि देश की तेज वृद्धि और आर्थिक सुधारों से बदले हालात के कारण निवेश परिदृश्य करवट ले रहा है। भारत की समृद्ध होती विकास गाथा के कारण ही विदेशी ब्रांड पूर्व में यहां से अपना कारोबार समेटने के फैसलों पर पुनर्विचार करने लगे हैं, ताकि वे भी यहां उभरते अवसरों को भुना सकें।

लगभग एक दशक पहले जुलाई 2014 में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी रिटेल चेन कारफू ने भारत में अपने सभी कैश ऐंड कैरी स्टोर बंद कर यहां से कारोबार समेटने का ऐलान किया था। कंपनी ने यह फैसला अपनी कारोबारी महत्त्वाकांक्षाओं को उड़ान देने में असफल रहने के बाद उठाया था।

जिस तरह कंपनी देश में आई और फिर अचानक कारोबार बंद कर यहां से चली गई, उसे देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा था कि यह दोबारा कभी वापस आने के बारे में सोचेगी। लेकिन कुछ दिन पहले फ्रांस की इस खुदरा सामान बेचने वाली कंपनी ने भारत में दोबारा अलग रूप में अपना कारोबार शुरू करने का ऐलान किया है, क्योंकि देश में अभी भी मल्टी ब्रांड रिटेल क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के दरवाजे बंद हैं।

कड़ी प्रतिस्पर्धा और कोविड-19 महामारी के दौरान सुस्त मांग के कारण अमेरिका की दिग्गज वाहन कंपनी फोर्ड ने सितंबर 2022 में भारत में कारोबार बंद करने का ऐलान किया था। पिछले सप्ताह इस कंपनी ने दोबारा भारत आने की घोषणा करते हुए कहा कि वह तमिलनाडु के मरैमलाई संयंत्र में पुन: उत्पादन शुरू करेगी। मरैमलाई राज्य की राजधानी चेन्नई से लगभग 50 किलोमीटर दूर है।

फोर्ड और कारफू की तरह अन्य विदेशी ब्रांड भी भारत में उभरती संभावनाओं पर दांव लगाने के लिए यहां दोबारा आने या पूंजी निवेश की नई योजनाओं पर काम कर रहे हैं। अमेरिका के एक और दिग्गज ब्रांड हार्ली डेविडसन ने पिछले वर्ष ही हीरो मोटोकॉर्प के साथ संयुक्त उपक्रम में निवेश के साथ दोबारा भारतीय बाजार में कदम रखा है। चीनी फैशन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी शेन ने भी रिलायंस रिटेल के साथ साझेदारी में दोबारा यहां आने का फैसला किया है। फ्रेंचाइज इंडिया के चेयरमैन गौरव मारया कहते हैं कि भारतीय खपत की कहानी दुनिया में सबसे बड़ी है, जिसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजित बनर्जी बताते हैं कि भारत का सबसे बड़ा बाजार, तेज वृद्धि और सफल आर्थिक सुधार रणनीति विदेशी निवेशकों को यहां आने के लिए आकर्षित कर रही है। बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के अनुसार भारत का व्यापक क्षेत्रफल और इसकी तेज आर्थिक वृद्धि दर विदेशी निवेशकों को सबसे अधिक आकर्षित करने वाले कारक हैं।

मारया कहते हैं कि चाहे कारफू हो या फोर्ड अथवा कोई भी अन्य दिग्गज विदेशी ब्रांड, सब के सब अपनी नीतियों और कारोबारी योजनाओं को भारतीय बाजार के हिसाब से ढालने के लिए तैयार हैं।

रिसर्च फर्म नीलसनआईक्यू के अनुसार भारत के तेज उड़ान भर रहे उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र में अप्रैल-जून तिमाही में पिछले साल के मुकाबले मूल्य के हिसाब से 4 प्रतिशत एवं मात्रा की दृष्टि से 3.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। हालांकि आंकड़े खपत रुझान के थोड़ा नरम होने की ओर संकेत दे रहे हैं, लेकिन भरोसे की कहानी स्थायित्व और अर्थव्यवस्था के लचीलेपन पर टिकी हुई है।

विदेशी ब्रांड के बारे में मारया के दृष्टिकोण से देखें तो कारफू हो या फोर्ड, दोनों ही भारत में अपनी व्यापारिक योजनाओं को पुनर्निर्धारित करने में जुटी हैं। वर्ष 2014 में जब कारफू ने भारत छोड़ने का निर्णय लिया था तो यह साफ था कि वह भारत में कैश ऐंड केरी स्टोर चलाने में अपना समय बरबाद नहीं करना चाहती, जबकि उसका लक्ष्य यहां यूरोप और दुनिया के हिस्सों में फैले अपने कारोबार की तरह ही बहु-ब्रांड रिटेल श्रृंखला को विस्तार देना था।

एक दशक बाद रिटेल क्षेत्र की इस दिग्गज कंपनी ने भारत में दोबारा प्रवेश की घोषणा की है। इस बार यह कंपनी दुबई के फैशन और रिटेल कारोबारी समूह अपैरल के साथ फ्रैंचाइज समझौते के तहत उतर रही है।

भारत में कारफू का दोबारा प्रवेश का फैसला अंतरराष्ट्रीय साझेदारी 2026 विकास योजना का अहम हिस्सा है। यह कंपनी वर्ष 2026 तक दुनिया के 10 और देशों में विस्तार की योजना पर काम कर रही है। जब कारफू 2014 में भारत में कारोबार कर रही थी तो यह अपने चीनी बाजार में विस्तार के लिए आशावान दिखती थी। लेकिन यह वहां से लगभग बाहर ही हो गई है।

भारतीय बाजार में दोबारा उतरने के लिए फोर्ड के पास भी नई योजना तैयार है। उम्मीद की जा रही है कि विश्व के दूसरे बाजारों के लिए भारत के इलेक्ट्रिक कार निर्यात का हब बनने की उम्मीद है। बनर्जी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और ज्ञान सेवाओं समेत ऐसे ही अन्य क्षेत्रों में भारी-भरकम निवेश घोषणाएं सुनने को मिली हैं।

हालांकि, भारत में विदेशी ब्रांड को नीतियों में असमानता समेत काफी चुनौतियों का सामना करना पड़़ा है। जिस प्रकार कारफू ने भारत से निकलने का ऐलान किया, उसी तरह अन्य कई कंपनियां भी देश से बाहर चली गईं। कैश ऐंड कैरी प्रारूप में कारोबार करने वाली एक अन्य कंपनी मेट्रो ने हाल ही में भारत से कारोबार समेटने का ऐलान किया है।

मल्टी ब्रांड रिटेल में उत्सुकता दिखाने वाली वॉलमार्ट को एफडीआई से जुड़ी नीतियों में अस्पष्टता होने के कारण कैश-ऐंड-कैरी बिजनेस में प्रयोग करना पड़ा। वर्ष 2018 में वॉलमार्ट ने 16 अरब डॉलर के सबसे बड़े सौदे में फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी खरीदने के लिए अपना रास्ता बदल दिया था।

स्वीडन की बड़ी फर्निशिंग कंपनी आइकिया जब भारत में कारोबार शुरू कर रही थी तो उसे काफी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। क्यूपर्टिनो में मुख्यालय वाली विख्यात कंपनी ऐपल को भी भारत में कारोबार शुरू करने के लिए कई वर्ष तक इंतजार करना पड़ा।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के संस्थापक और भाजपा सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने बीते रविवार को विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वॉलमार्ट (फ्लिपकार्ट) और एमेजॉन को भारत में अपना कारोबार बंद कर देना चाहिए। उनका इशारा प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की एक जांच की तरफ था, जिसमें इन दोनों कंपनियों द्वारा कथित रूप से अविश्वास नियमों के उल्लंघन की बात सामने आई थी।

जब खंडेलवाल से भारत में कारोबार के लिए बड़ी विदेशी कंपनियों की रुचि के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि कारफू और फोर्ड जैसी कंपनियों के लिए यहां कारोबार करने के लिए कई चुनौतियां हैं, लेकिन उन्हें हर स्तर पर नियमों का पालन करना होगा तथा यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके कारण घरेलू व्यापार प्रभावित नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘उन्हें तो प्रौद्योगिकी और अपनी विस्तार योजनाओं के जरिए भारतीय घरेलू बाजार को ताकत देनी चाहिए।’

First Published - September 19, 2024 | 10:56 PM IST

संबंधित पोस्ट