नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने गुरुवार को कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है और फिलहाल चीजें स्थिर हैं, लेकिन इस पर कड़ी नजर रखना जरूरी है। उन्होंने बताया कि इस बार मॉनसून में 30 फीसदी की कमी और अभी पूरी तरह से प्रभावी नहीं हुआ, अल नीनो भी मांग पर असर डाल सकता है।
नारायणन ने कहा, ‘भले ही यह अटकलबाजी लगे, लेकिन अगर ग्रामीण क्षेत्र पर बुरा असर पड़ा तो ग्रामीण मांग भी प्रभावित होगी।’नेस्ले इंडिया की कुल मांग में ग्रामीण क्षेत्र की हिस्सेदारी 20 फीसदी है। नारायणन ने कहा, ‘हालांकि, मैं इस पर नजर रखूंगा। असलियत में अभी किसी ने मॉनसून में कमी के प्रभाव को पूरी तरह नहीं माना है, क्योंकि उम्मीद है कि सितंबर में फिर इसमें तेजी आ सकती है। अगर ऐसा होता है तो हम फिर पटरी पर लौट आएंगे।’
उन्होंने कहा कि छोटे शहरों से लेकर कस्बाई इलाकों तक मांग काफी स्थिर और मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा, ‘हमें अच्छे त्योहारी सीजन की उम्मीद है।’बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए नारायणन ने कहा कि आगे चलकर दूध की कीमतों में कटौती देखने को मिल सकती है क्योंकि सर्दी के मौसम से कुछ राहत मिलेगी।
नारायणन ए+ मसाला मिलेट्स पेश करने के दौरान बोल रहे थे। मैगी नूडल्स बनाने वाली कंपनी अपनी रेडी टू ईट श्रेणी का विस्तार कर रही है। कंपनी ने 100 करोड़ रुपये के ए+ ब्रांड में बाजरा आधारित मिलेट्स स्नैक्स पेश किया है।
नारायणन ने कहा, ‘एक श्रेणी के रूप में मसाला मिलेट को बढ़ने में समय लगेगा और यह तुरंत हमारे लिए कोई नया अवसर नहीं खोलेगा। हालांकि, जेन-जेड (जेड पीढ़ी) अपने खाने के मामले में बहुत सचेत है और यही बात मुझे इस उत्पाद के बारे में आशावान बनाती है।’
उन्होंने कहा कि फिलहाल बिक्री में नवोन्मेष का करीब 5 फीसदी योगदान है। कंपनी ने अपनी बेबी फूड ब्रांड केयरग्रो के रागी वेरिएंट के साथ अपनी मिलेट पेशकश की शुरुआत की है। उसने सिरील ब्रांड कोको क्रंच का ज्वार ब्रांड और कोल्ड माल्ट बेवरेज ‘मिलो’ का मिलेट-बेस्ड वर्सन भी पेश किया है। नारायणन ने कहा कि भविष्य में अपने सभी पोर्टफोलियो में मिलेट को शामिल करने की योजना है।