फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर देश की GDP का चौथा सबसे बड़ा सेक्टर है। डिस्पोजेबल आय में वृद्धि और बढ़ती युवा आबादी तथा उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती ब्रांड जागरूकता के साथ यह सेक्टर पिछले कुछ वर्षों में एक स्वस्थ दर से बढ़ रहा है।
भारत में एफएमसीजी की 50 फीसदी बिक्री हाउसहोल्ड और पर्सनल केयर कैटगरी में होती है। इस उद्योग का देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी महत्वपूर्ण योगदान है।
इंडियन ब्रांड इक्विटी फॉउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का FMCG बाजार साल 2025 तक 14 फीसदी की सालाना दर से बढ़कर 220 अरब डॉलर पर पहुंच सकता है। वर्तमान में देश का FMCG बाजार 110 अरब डॉलर का है।
पैक खाना, बेवरेज, कैंडी और कॉस्मेटिक तथा साबुन जैसे रोजमर्रा इस्तेमाल वाले सामान बनाने वाले कंपनियों को FMCG से कहा जाता है। साथ ही 2025 तक भारतीय पैक्ड फूड बाजार के दोगुना होकर 70 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।
शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में ई-कॉमर्स पोर्टल्स के जरिये बढ़ती डिजिटल कनेक्टिविटी भी FMCG की मांग को बढ़ा रही है। FMCG भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथा सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र में फ़ूड और बेवरेजिस, हेल्थकेयर, हाउसहोल्ड और पर्सनल केयर जैसे तीन मुख्य खंड हैं।
फ़ूड और बेवरेजिस की FMCG बाजार में कुल हिस्सेदारी 19 फीसदी है जबकि हेल्थकेयर का हिस्सा 31 फीसदी और हाउसहोल्ड एवं पर्सनल केयर का शेष 50 फीसदी हिस्सा है।
भारतीय बाजार में मैगी, किटकैट, मंच, नेस्कैफे, पोलो, बार-वन, मिल्कमिड, मिल्कीबार, अल्पिनो और एक्लेयर्स जैसे खाने-पीने के सामान बेचने वाली नेस्ले दुनिया की सबसे बड़ी FMCG कंपनी है। कंपनी ने साल 2021 में 93.1 अरब डॉलर का सामान बेचा था।