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क्विक कॉमर्स पर सतर्क FMCG डिस्ट्रीब्यूटर्स, पारंपरिक रिटेल की रक्षा का अभियान शुरू

देश भर में 40,000 से ज्यादा वितरकों और 3,50,000 उप-वितरकों के संगठन अ​खिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक संघ (एआईसीपीडीएफ) ने राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है।

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शार्लीन डिसूजा   
Last Updated- January 12, 2025 | 11:29 PM IST

रोजमर्रा के उपयोग वाले सामान बनाने वाली कंपनी (एफएमसीजी) के वितरक तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन रिटेलरों के ​खिलाफ लिए देश भर के विभिन्न शहरों और जिलों में खुदरा विक्रेताओं के साथ बैठकें करेंगे। देश भर में 40,000 से ज्यादा वितरकों और 3,50,000 उप-वितरकों के संगठन अ​खिल भारतीय उपभोक्ता उत्पाद वितरक संघ (एआईसीपीडीएफ) ने राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है जिसके तहत उनकी योजना 20 जनवरी से 31 मार्च के दौरान 500 से ज्यादा जिलों और करीब 700 तालुकों में खुदरा विक्रेताओं के साथ बैठक करने की है। इस कदम का उद्देश्य ​क्विक कॉमर्स में तेजी और ई-कॉमर्स द्वारा भारी छूट देकर बाजार खराब करने वाली कीमतों के ​खिलाफ वितरकों और खुदरा विक्रेताओं को एकजुट करना है।

इस सदंर्भ में बीते शनिवार को बेंगलूरु में उनकी पहली बैठक हुई, जिसमें करीब 300 वितरकों और खुदरा विक्रेताओं ने एकजुट होकर आपूर्ति श्रृंखला की समस्या और ​क्विक कॉमर्स के कारण घटते कारोबार के मुद्दे पर चर्चा की। बैठक में उन्होंने रिटेलिंग के एक प्रारूप से मुकाबला करने के लिए तकनीक का उपयोग करने का निर्णय किया और साथ ही मार्जिन बढ़ाने के लिए एफएमसीजी कंपनियों से संपर्क करने की भी योजना बनाई गई।

एआईसीपीडीएफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने कहा, ‘पारंपरिक रिटेल भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही है। यह देश के सभी कोनों में पूरे समर्पण के साथ सेवाएं प्रदान करते हैं। आज क​थित आधुनिक ई-कॉमर्स और ​क्विक कॉमर्स कंपनियों के कारण हमारे कारोबार में सेंध लग रही है। ये कंपनियां और कुछ नहीं बल्कि नए जमाने की ईस्ट इंडिया कंपनियां हैं जो चतुर रणनीति के साथ हमारे बाजार का दोहन कर रही हैं। यदि हम अभी एकजुट होकर कार्रवाई नहीं करते हैं तो आधुनिकीकरण के बहाने हमें वित्तीय गुलामी में धकेले जाने का खतरा है।’

उन्होंने कहा कि ‘हम हैं- हम रहेंगे’ स्लोगन के साथ तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन प्रारूप के ​खिलाफ मुकाबले के लिए अ​भियान शुरू किया है। पाटिल ने कहा कि ​क्विक कॉमर्स के तेजी से प्रसार के कारण पिछले एक साल के दौरान अकेले बेंगलूरु में ही 50,000 किराना स्टोरों पर ताला जड़ गया। कई अन्य के भी बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।

तीन महीने के दौरान देश भर में होने वाली बैठक में वितरकों की संस्था एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला बनाने की योजना तैयार करेगी और एफएमसीजी कंपनियों से रिटेलरों के लिए कम से कम 20 फीसदी तथा वितरकों के लिए 10 फीसदी तथा सुपर स्टॉकिस्टों के लिए 5 फीसदी कमीशन की मांग करेंगी।

वर्तमान में वितरकों को 3 से 5 फीसदी मार्जिन मिलता है जबकि खुदरा विक्रेताओं को 8 से 12 फीसदी और सुपर स्टॉकिस्टों को 1.5 से 3 फीसदी मार्जिन मिलता है।

पिछले साल वितरकों के संगठन ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को पत्र लिखकर क्विक कॉमर्स के उभार और किराना स्टोरों के कारोबार में सेंध लगने की शिकायत की थी। संगठन ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और भूमल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भी इस बारे में
पत्र लिखा है।

स्टैटिस्टा के आंकड़ों के अनुसार भारत में 2025 में क्विक कॉमर्स का बाजार बढ़कर 5.4 अरब डॉलर होने का अनुमान है। उसके अनुमान के अनुसार यह बाजार सालाना 16.07 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ते हुए 2029 में 9.77 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। क्विक कॉमर्स के उपयोगकर्ताओं की संख्या भी बढ़कर 6.06 करोड़ हो जाएगी।

First Published : January 12, 2025 | 11:29 PM IST