प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने फ्लिपकार्ट इंडिया प्रा. लि., सिंगापुर में इसकी पंजीकृत फर्म और आठ अन्य व्यक्तियों और इकाइयों के खिलाफ विदेशी विनिमय कानून का उल्लंघन करने के लिए 10,600 करोड़ रुपये का कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ईडी द्वारा फेमा के तहत दिया गया यह अब तक का सबसे बड़ा नोटिस है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने जुलाई में विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के सक्षम प्राधिकरण द्वारा जारी आदेश के बाद इन इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की है। मामला फ्लिपकार्ट और इसकी अन्य होल्डिंग फर्मों से जुड़ा है, जिन्होंने 2009 से 2015 के बीच विदेशी फर्मों से निवेश प्राप्त किए हैं। ई-कॉमर्स फर्म को विदेशी विनिमय के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करता पाया गया है। सूत्रोंं ने कहा कि इनमें से एक प्रावधान भारत से बाहर के व्यक्ति को प्रतिभूति हस्तांतरित तथा जारी करने से संबंधित है। वॉलमार्ट ने 2018 में फ्लिपकार्ट का 16 अरब डॉलर मेंं अधिग्रहण कर लिया था।
फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी भारत के कानून और प्रत्यक्ष विदेशी नियमों का पूरी तरह से अनुपालन करती है। उन्होंंने कहा, ‘हम मामले की जांच करने वाले अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग करेंगे। नोटिस के अनुसार यह मामला 2009 से 2015 के बीच का है।’ घटनाक्रम के जानकार एक अधिकारी ने कहा कि विदेशी विनिमय कानून की विभिन्न धाराओं के तहत चल रही जांच के पूरा होने के बाद फेमा का कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
उनके अनुसार कानूनी सुनवाई शुरू हो गई है। जिन इकाइयों को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है, उन्हें व्यक्तिगत तौर पर सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। प्राधिकरण आम तौर पर ऐसे मामलों में जांचकर्ता और संबंधित कंपनी के पक्ष को सुनने के बाद दंड लगाने का निर्णय करता है।
उन्होंने आगे कहा कि जांच में फ्लिपकार्ट के परिचालन ढांचे में अनियमितताएं पाई गईं, जिसमें वह मल्टी-ब्रांड रिटेलिंग के रूप में दिखती हैं लेकिन थोक व्यापार गतिविधियों का दावा करती है।
मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियम के तहत मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की अनुमति नहीं है। ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को सीधे ऑनलाइन उत्पादों की बिक्री करती हैं। हालांकि फ्लिपकार्ट मार्केटप्लेस मॉडल के तहत काम करती है, जो वैध है लेकिन नियम का उल्लंघन 2014 से पहले किया गया था, जब उसने मार्केटप्लेस मॉडल शुरू नहीं किया था।
फेमा नियमों के अनुसार अगर कोई पक्ष विदेशी विनिमय नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उस पर संबंधित विदेशी निवेश का तीन गुना जुर्माना लगाया जा सकता है।