तेल व प्राकृतिक गैस क्षेत्र के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का वित्त वर्ष 25 में सालाना आतंरिक और अतिरिक्त बजटीय संसाधन (आईईबीआर) पूंजीगत व्यय, लक्ष्य से अधिक हो सकता है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इन उद्यमों का लगातार पांचवें वर्ष आईईबीआर पूंजीगत व्यय लक्ष्य से अधिक होने की उम्मीद है। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में इस क्षेत्र के केंद्रीय सार्वजनिक उद्यम (सीपीएसई) अपने पूंजीगत व्यय लक्ष्य 1.18 लाख करोड़ रुपये का 83 फीसदी यानी 97,667 करोड़ रुपये खर्च कर चुके हैं।
आईईबीआर पूंजीगत व्यय ऐसे संसाधन होते हैं जो बजट का हिस्सा नहीं होते हैं लेकिन इनका इस्तेमाल सरकार अपने खर्च के लिए करती है। इन संसाधनों में सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के बॉन्ड, अतिरिक्त वाणिज्यिक उधारी और अन्य तरीकों से जुटाया गया धन शामिल होता है। हालांकि इसमें सरकारी गारंटी से लिए गए ऋण शामिल नहीं होते हैं। अधिकारी ने बताया, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का आईईबीआर लक्ष्य से अधिक खर्च करने का अच्छा रिकॉर्ड रहा है। इससे कई जारी परियोजनाओं को कोष जुटाने और परियोजना को समयसीमा में पूरा करने में मदद मिली है।’
मंत्रालय के परियोजना पोर्टल के अनुसार 100 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत की सार्वजनिक क्षेत्र की तेल और प्राकृतिक गैस की कंपनियों की कुल 145 परियोजनाओं पर कार्य जारी है। इन परियोजनाओं की कुल स्वीकृत लागत 5.65 लाख करोड़ रुपये है। इनमें 78 ग्रीन फील्ड परियोजनाओं की लागत 2.84 लाख करोड़ रुपये और 67 क्षमता विस्तार परियोजनाओं की लागत 2.81 लाख करोड़ रुपये है।
वित्त वर्ष 24 में 54 परियोजनाएं पूरी की गई थीं और इनकी अनुमानित लागत 525 करोड़ रुपये थी। इन परियोजनाओं में रिफाइनरी की 31 और मार्केटिंग की 10 परियोजनाएं हैं। इस क्रम में उत्खनन एवं उत्पादन क्षेत्र की 8 परियोजनाएं हैं जबकि 4 गैस क्षेत्र की परियोजनाएं हैं। आंकड़ों के अनुसार कम्प्रेस्ड बॉयोगैस की 12 परियोजनाओं पर कार्य जारी है और इनमें से कोई भी परियोजना पूरी नहीं हुई है।
सार्वजनिक क्षेत्र की अपस्ट्रीम तेल कपनियों में तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और ऑयल इंडिया शामिल हैं। तेल विपणन कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम काॅरपोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड शामिल हैं। गेल प्राकृतिक गैस आपूर्तिकर्ता है।