उछाल मारती ब्याज दरों के असर से घरेलू सीमेंट उद्योग भी प्रभावित हुए बगैर नहीं रहा है।
मंदी की आशंका से यह उद्योग 2010 तक 8 लाख टन की क्षमता जोड़ने के लिए अपनी 50,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को आगे बढ़ाने से कतरा रहा है।
भवन निर्माण और हाउसिंग कारोबार में मंदी का साया पहले से ही सीमेंट कंपनियों के सिर पर मंडरा रहा था। मुद्रास्फीति के दोहरे अंक में पहुंच जाने के बाद उद्योग को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) दर के नीचे आ जाने का भय सताने लगा है। श्री सीमेंट के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक और सीमेंट मैन्युफेक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एच. एम. बंगुर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अगले दो वर्षों तक हम नई परियोजनाओं की योजना नहीं बना रहे हैं।
हम जिन परियोजनाओं की घोषणा कर चुके हैं, उनकी क्षमताओं को संगठित किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि यदि जीडीपी विकास दर में गिरावट आती है तो सीमेंट उद्योग भी इससे प्रभावित होगा। उद्योग के जानकारों के मुताबिक सीमेंट उद्योग से जुड़े लोगों ने यह महसूस किया है कि सीमेंट में उद्योग में वित्तीय वर्ष 2006 की दूसरी तिमाही में शुरू हुआ बेहतर मुनाफा कमाने का दौर अब थम गया है। मुंबई के एक विश्लेषक ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘वे मुनाफा कमाने के लिए अगले दौर तक इंतजार करेंगे जो शायद 2012-13 में शुरू हो सकता है।’
इसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कानपुर में जेके सीमेंट के महा प्रबंधक (वित्त) प्रशांत सेठ ने कहा, ‘बढ़ती ब्याज दरों से नकदी प्रवाह प्रभावित हुआ है और हम ऐसी स्थिति में किसी नई परियोजना की घोषणा करने की स्थिति में नहीं हैं। वैसे हमने योजनाएं बनाई थीं, लेकिन अब हम इनमें बदलाव लाने का फैसला किया है और इन्हें धीरे-धीरे शुरू किया जाएगा।’ कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी ए. के. साराउगी ने कुछ समय पहले बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था कि कंपनी 2500 करोड़ रुपये का निवेश कर अपनी क्षमता बढ़ा कर 1.5 करोड़ टन करेगी।
फिलहाल जेके सीमेंट की कर्नाटक इकाई की क्षमता 40 लाख टन है और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भी इसकी एक वैश्विक इकाई है। होलसिम की कार्यकारिणी समिति के सदस्य पॉल ह्यूजेंटोबलर ने पिछले सप्ताह कहा था, ‘हमारे निवेश के लिहाज से कीमतें उपयुक्त नहीं हैं।’ एसीसी और अम्बुजा सीमेंट्स के जरिये भारत में अपनी मौजूदगी कायम करने वाली इस स्विस सीमेंट कंपनी ने 2010 तक अपनी कुल मौजूदा क्षमता 4.1 करोड़ टन से बढ़ा कर 5.5 करोड़ टन करने की योजना बनाई है।
60 लाख टन क्षमता वाली बिनानी सीमेंट अपनी क्षमता 1.3 लाख टन कर 2012 तक 4000 करोड़ रुपये की पूंजी वाली कंपनी बनना चाहती है। लेकिन मौजूदा मंदी को देखते हुए कंपनी भविष्य में क्षमता विस्तार योजनाओं पर आगे बढ़ने के मूड में नहीं है।