आईपीओ में एलआईसी कर्मियों को छूट संभव

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 2:19 AM IST

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में लंबे समय से काम कर रहे कर्मचारियों को सरकारी बीमा कंपनी के प्रस्तावित आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) में अहम लाभ मिल सकता है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि विनिवेश प्रक्रिया में विशेष कोटा होगा, जिसके तहत कर्मचारी 10 प्रतिशत छूट पर कंपनी के शेयर खरीद सकेंगे।
यह प्रस्ताव इस हिसाब से अहम है कि सरकार इस आईपीओ के भारी मांग की उम्मीद कर रही है। ऐसे में अगर एलआईसी के कर्मचारी खुदरा कोटे के माध्यम से दांव लगाते हैं तो उनके लिए शेयर के आवंटन की संभावना कम है। मार्च 2019 तक के आंकड़ों के मुताबिक एलआईसी में कुल 1.1 लाख कर्मचारी हैं।
बहरहाल हिस्सेदारी की बिक्री के अंतिम मसौदे को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद मंत्रियों का एक समूह शेयरों के आवंटन और छूट के बारे में अंतिम फैसला करेगा। इस योजना से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘विनिवेश प्रक्रिया में सरकार कर्मचारियों को 10 प्रतिशत की छूट देने के साथ शुरुआती दिनों में बोनस देने पर विचार कर रही है।’
वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले वित्तीय सेवा विभाग ने एसआईसी में हिस्सेदारी बेचने के लिए मसौदा नोट पर सभी वित्तीय नियामकों से राय और प्रतिक्रिया मांगी है।  सूत्रों ने कहा कि इसे इस माह के अंत तक अंतिम रूप दे दिया जाएगा। एक व्यक्ति ने कहा, ‘मसौदा नोट को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक, आईआरडीए व अन्य के साथ साझा किया गया है और उनको प्रतिक्रिया देने के लिए 15 दिन का वक्त दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उम्मीद कर रही है कि इस कैलेंडर साल के अंत तक मसौदा पत्र दाखिल हो जाएगा।
मसौदे में कहा गया है कि प्रोत्साहनों के अलावा सरकार बीमा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 75 प्रतिशत करेगी, जो अभी 100 प्रतिशत है। बहरहाल सेबी के नियमों के मुताबिक यह एक या एक से ज्यादा खंडों में किया जा सकता है। एक और सूत्र ने साफ किया कि इसके मुताबिक सूचीबद्धता के तीन साल के भीतर 25 प्रतिशत न्यूनतम शेयरधारिता घटानी होगी।
इस मसौदे में एलआईसी अधिनियम 1956 में 5 संशोधनों का भी प्रस्ताव किया गया है। इसमें वह अनुच्छेद भी शामिल है, जिसमें कहा गया है कि एलआईसी एक सांविधिक निकाय है, जिसे कंपनी ऐक्ट के प्रावधानों के तहत कंपनी के रूप में फिर से परिभाषित किए जाने की जरूरत है। संशोधन किए जाने वाले अन्य अनुच्छेद बोर्ड के प्रारूप और उसके पुनर्गठन, शेयरधारकों के साथ मुनाफा साझा करने, लाभांश वितरण, जारी पूंजी, पेडअप कैपिटल के विस्तार और आरक्षित निधि से जुड़े हैं।
मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘बगैर कुछ निश्चित कानूनी संशोधनों के आईपीओ लाया जाना संभव नहीं है। उदाहरण के लिए इससे पूंजी आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो इस समय 100 करोड़ रुपये है। 2011 के पहले कॉर्पोरेशन की पूंजी 5 करोड़ रुपये थी, जिसे एलआईसी ऐक्ट में संशोधन के बाद बढ़ाया गया था।’
सूत्रों ने कहा कि सरकार आगामी मॉनसून सत्र में धन विधेयक के रूप में कानून में संशोधन पेश करने की योजना बना रही है, जिसके लिए सिर्फ लोकसभा में विधेयक को मंजूरी की जरूरत होगी। 

First Published : September 10, 2020 | 11:39 PM IST