अपना धातु और खनन कारोबार मजबूत करने के लिए टाटा स्टील ने समूह की सात कंपनियों का विलय करने का फैसला किया है। एक साक्षात्कार में टाटा स्टील के कार्यकारी निदेशक और मुख्य वित्त अधिकारी कौशिक चटर्जी ने ईशिता आयान दत्त को बताया कि यह विलय टाटा स्टील और इसमें शामिल कंपनियों के लिए प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी कहा कि रुपये के मूल्य में गिरावट से इस्पात की कीमतों पर असर पड़ेगा। संपादित अंश:
इस बड़े विलय के तत्काल और दीर्घकालिक लाभ क्या हैं?
इस प्रस्तावित विलय से हमें रणनीति को तेज और केंद्रित ढंग से संचालित करने में मदद मिलेगी। टाटा स्टील इन कारोबारों को भविष्य में वृद्धि के लिए वित्तीय शक्ति प्रदान करेगी और टाटा स्टील की उद्यम रणनीति के साथ रणनीतिक रूप से व्यवस्थित करेगी। कई क्षेत्रों में लागत निकालने के जरिये तालमेल होगा। प्रबंधन संरचना भी सरल हो जाती है।
वर्ष 2019 के बाद से टाटा स्टील ने 116 संबद्ध कंपनियां कम कर दी हैं। क्या वे ज्यादातर यूरोप में थीं?
हां, ये ज्यादातर यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया में थीं।
विलय की घोषणा के बाद समूह की कंपनियों के शेयरों की जैसी प्रतिक्रिया रही, उससे ऐसा लगता है कि शेयरधारक उत्साहित नहीं हैं। इस मूल्यांकन पर आपकी टिप्पणी?
पहली बात तो यह है कि एक दिन की बाजार प्रतिक्रिया पर मत जाइए क्योंकि शुक्रवार को बाजार पर वैश्विक कारकों का गहराई से असर था। इस कवायद के लिए अपनाई गई मूल्यांकन प्रक्रिया बाहर के स्वतंत्र विशेषज्ञों ने काफी मजबूत तरीके की थी और बाहरी विशेषज्ञों के एक अन्य समूह द्वारा निष्पक्ष राय के साथ इसकी पुष्टि की गई थी। इस तरह। हमने नियामकों द्वारा निर्धारित उचित प्रक्रिया का पालन किया और विलय के लिए उचित मूल्यांकन सुनिश्चित करने को सशक्त निरीक्षण का पूरी तरह से पालन किया गया है।
इस बात को ध्यान में रखते हुए कि इस प्रक्रिया में चार सूचीबद्ध सहित सात फर्म शामिल हैं, आपके विचार से विलय की इस प्रक्रिया में कितना समय लगेगा?
सेबी, एनसीएलटी और अन्य नियामकों द्वारा निर्धारित किया गया प्रक्रिया का स्पष्ट क्रम है और हम पूरी सजगता से इसका पालन करेंगे। यह विलय कार्यक्रम टाटा स्टील और विलय की जाने वाली सभी कंपनियों के लिए एक प्राथमिकता है।
वैश्विक स्तर पर इस्पात के दामों में अप्रैल के शीर्ष स्तर के बाद से तेजी से गिरावट आई है। इसका परिदृश्य क्या है?
कुछ महीने पहले की तुलना में बाजार अब अधिक स्थिर हो रहा है और दाम अंतर्निहित मांग आपूर्ति की स्थिति को बताएंगे।
रुपये के मूल्य में गिरावट का टाटा स्टील पर क्या असर पड़ेगा?
ऐतिहासिक रूप में इस्पात की कीमतों और रुपये के उतार-चढ़ाव के बीच बड़ा संबंध रहा है। हाल के महीनों में कई कारकों के कारण काफी ज्यादा अस्थिरता रही है, जिनमें मुद्रा भी एक है। मुद्रा हार्ड कोकिंग कोल और इस्पात जैसे आयातित कच्चे माल की कीमतों को प्रभावित करती है।
लेकिन रुपये के मूल्य में गिरावट की वजह से इनपुट लागत बढ़ेगी?
अगर रुपये में गिरावट जारी रहती है, तो कोकिंग कोल महंगा हो जाएगा, लेकिन इसका असर इस्पात के दामों पर भी पड़ेगा।
