Elon Musk Tesla Office: भारत में अपना मोटर व्हीकल कारोबार बढ़ाने के लिए ईलॉन मस्क की टेस्ला कंपनी की तैयारी जोरों पर है। मस्क की टेस्ला इंडिया मोटर एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड ने पुणे के पंचशील बिजनेस पार्क में Tesla Office के लिए एक जगह किराये पर ली है। कंपनी ने 5 साल के लिए ये जगह लीज पर ली है। कंपनी की ओर से यह कदम टेस्ला के अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के भारत में अपनी इलेक्ट्रिक कारों को बेचने के लिए प्रोत्साहन और लाभों पर चर्चा करने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्री से मुलाकात के बाद उठाया गया है।
टेस्ला की भारतीय सहायक कंपनी की ओर से पांच साल के लिए ये ऑफिस लीज लिया गया है। टेस्ला की सहायक कंपनी ने पंचशील बिजनेस पार्क में बी विंग की पहली मंजिल पर 5,580 वर्ग फुट कार्यालय स्थान लिया है। कंपनी ने ये डील टेबलस्पेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ की है।
इसका किराया 1 अक्टूबर, 2023 से शुरू होगा और दोनों कंपनियां 5 प्रतिशत हर साल की बढ़ोतरी शर्त के साथ 36 महीने की लॉक-इन अवधि पर सहमत हुई हैं। रियल एस्टेट एनालिटिक्स फर्म सीआरई मैट्रिक्स के मुताबिक शेयर किए गए दस्तावेज़ों का हवाला देते हुए हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि टेस्ला 60 महीने के लिए जगह पट्टे पर लेने के लिए 11.65 लाख रुपये का मासिक किराया और 34.95 लाख रुपये की सुरक्षा जमा राशि का भुगतान करेगी।
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इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार टेस्ला के विदेशी आपूर्तिकर्ताओं खासकर चीन के आपूर्तिकर्ताओं को देश में निर्माण की अनुमति दे सकती है। हालांकि सरकार ने इसे लेकर कोई इच्छा जाहिर नहीं की है।
बता दें कि टेस्ला ने 2019 में बेंगलुरु में अपनी भारतीय सहायक कंपनी को रजिस्टर्ड किया था। इसके अलावा, देश में इलेक्ट्रिक वाहन और ईवी बैटरी बनाने के लिए एक कारखाना बनाने की योजना बनाई थी। अगर एक ऑफिस लीज पर लिया गया है।
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भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर विशेष फोकस कर रही है। लेकिन, भारत में बैटरी सेल जैसे कंपोनेंट के लिए लोकल सप्लायर नहीं हैं, यहां तक कि भारत की सबसे बड़ी ईवी मैन्युफैक्चरर, टाटा मोटर्स भी इन्हें चीन से आयात करती है। हालांकि, भारत-चीन के तनावपूर्ण संबंधों से टेस्ला की चीनी सप्लायर्स को लाने की योजना में और मुश्किल आने का खतरा है।
ऐसे में माना जा रहा है कि भारत टेस्ला के विदेशी वेंडर्स, विशेष रूप से चीनी वेंडर्स को देश में महत्वपूर्ण कंपोनेंट की मैन्युफैक्चरिंग को मंजूरी देने पर विचार कर सकता है, लेकिन सरकार किसी भी कंपनी-विशिष्ट छूट (specific exemptions) के पक्ष में नहीं है। यह जानकारी द इकनॉमिक टाइम्स (ET) को इस मामले के जानकार लोगों के हवाले से मिली।