भारत में इलेक्ट्रिक वाहन का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। ताजे आंकड़ों पर नजर डालें तो भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग ने वित्त वर्ष 2024 में अलग-अलग तरह के वाहनों की रिकॉर्ड तोड़ बिक्री की है।
इस दौरान 41 प्रतिशत की जबरदस्त तेजी के साथ कुल 1.66 मिलियन ईवी की बिक्री हुई। सिर्फ मार्च में 197,000 से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के साथ ये एक नया रिकॉर्ड बन गया। एक्सपर्ट्स की मानें तो ईवी की इस सेल में तेजी के पीछे एक एक कारण FAME-II सब्सिडी योजना भी रही, जिसका ग्राहकों ने जमकर लाभ उठाया था।
सरकार ने इस साल जुलाई के अंत तक इलेक्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया वाहनों की खरीद का समर्थन जारी रखने के लिए 500 करोड़ रुपये के बजट के साथ इलेक्ट्रिक मोबिलिटी प्रमोशन स्कीम 2024 पेश की है।
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सरकार की व्बीकल वेबसाइट के आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक, भारत में 1,665,270 ईवी की खरीद हुई, यानी कि हर दिन औसतन 4,562 ईवी की बिक्री हुई। पिछले साल यही आंकड़ा 3,242 था। ऐसा माना जा रहा है कि लागातार बढ़ रहे पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के भाव भी वाहन चालकों को इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ आकर्षित कर रहे हैं।
ईवी की इस जबरदस्त सेल में दोपहिया और तिपहिया वाहनों का बड़ा भाग रहा। साल-दर-साल 29 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सभी ईवी बिक्री में दोपहिया वाहनों की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत रही, जबकि तिपहिया वाहनों में 57 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई और बिक्री में 38 प्रतिशत की हिस्सेदारी रही।
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वहीं भारत सरकार ने एक नई इलेक्ट्रिक वाहन पहल को मंजूरी दे दी है जिसमें टैक्स इनसैंटिव भी शामिल है, जिसका लक्ष्य भारत को एक अग्रणी विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
सूत्रों की मानें तो भारत उन कंपनियों के लिए कुछ ईवी पर आयात शुल्क कम कर सकता है जो कि 500 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करने और तीन साल के भीतर देश में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है यह महत्वपूर्ण नीति टेस्ला जैसे ईवी के बड़े प्लेयर्स को लुभाने के लिए बनाई गई है और इससे स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा साथ ही विदेशी निवेश को भी आकर्षित करने में मदद होगी।