facebookmetapixel
दिल्ली में लाल किले के पास कार में धमाका, पास खड़ी दो गाड़ियां जलींVodafone Idea Q2 results: घाटा कम होकर ₹5,524 करोड़ पर आया, रेवेन्यू 2.4% बढ़ाअमेरिका में ट्रंप के टैरिफ पर सुप्रीम कोर्ट का केस बढ़ा सकता है भारत की चिंता, व्यापार समझौते पर बड़ा खतराबजट-पूर्व बैठक में एक्सपर्ट्स ने कृषि सेक्टर में R&D के लिए ज्यादा धनराशि पर जोर दियाअगर बैंक ने ज्यादा पैसे काट लिए या शिकायत पर जवाब नहीं दिया, ऐसे घर बैठे करें फ्री में कंप्लेंटBihar Election 2025: दूसरे चरण में 3.7 करोड़ मतदाता 122 सीटों पर करेंगे 1,302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसलाBandhan MF ने उतारा नया हेल्थकेयर फंड, ₹100 की SIP से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसा?Explained: AQI 50 पर सांस लेने से आपके फेफड़ों और शरीर को कैसा महसूस होता है?अगर इंश्योरेंस क्लेम हो गया रिजेक्ट तो घबराएं नहीं! अब IRDAI का ‘बीमा भरोसा पोर्टल’ दिलाएगा समाधानइन 11 IPOs में Mutual Funds ने झोंके ₹8,752 करोड़; स्मॉल-कैप की ग्रोथ पोटेंशियल पर भरोसा बरकरार

भारत सीरम पर टिकी डॉ. रेड्डीज़ लैबोरेटरीज और प्राइवेट इ​क्विटी फर्मों की नजर 

फिलहाल डीआरएल (DRL) की कुल आय में पुराने रोगों के उपचार की हिस्सेदारी 30 फीसदी है। इस तरह के इलाज में मरीज महीनों तक या कई बार ताउम्र दवाएं लेता  रहता है।

Last Updated- June 18, 2024 | 10:39 PM IST
Dr reddy

बायोफार्मास्युटिकल्स कंपनी भारत सीरम ऐंड वैक्सीन्स (BSV) पर डॉ.  रेड्डीज़ लैबोरेटरीज (DRL) और वै​श्विक प्राइवेट इ​क्विटी फर्मों ईक्यूटी तथा वारबर्ग पिनकस की नजर टिक गई है। सूत्रों ने बताया कि तीनों कंपनियां मुंबई की इस कंपनी में एडवेंट की हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में आ गई हैं।

सूत्रों ने कहा कि मैनकाइंड फार्मा भी इस होड़ में शामिल है मगर उसे मूल्यांकन ज्यादा लग रहा है। एक सूत्र ने कहा, ‘बीएसवी की कीमत 1.25 अरब से 1.5 अरब डॉलर लगाई जा रही है, जबकि पहले 2 अरब डॉलर मूल्यांकन पर बात हो रही थी। 2019 में कंपनी का मूल्यांकन 50 करोड़ डॉलर ही था।’

सूत्रों ने कहा कि अगर बीएसवी का मूल्यांकन थोड़ा कम होता है तो मैनकाइंड दिलचस्पी दिखा सकती है। मैनकाइंड फार्मा, डीआरएल, ईक्यूटी और वारबर्ग पिनकस से भारत सीरम ऐंड वैक्सीन्स में हिस्सेदारी खरीदने की योजना के बारे में पूछा गया। लेकिन चारों ने ही कुछ कहने से इनकार कर दिया।

प्राइवेट इ​क्विटी दिग्गज एडवेंट ने फरवरी 2020 में भारत सीरम ऐंड वैक्सीन्स में पीई निवेशकों ऑर्बिमेड ए​शिया तथा कोटक पीई की समूची हिस्सेदारी खरीद ली थी। उसने कंपनी के प्रवर्तक दफ्तरी परिवार की भी कुछ हिस्सेदारी ली थी, जिसके बाद कंपनी में उसकी कुल 74 फीसदी हिस्सेदारी हो गई थी।

फार्मास्युटिकल्स विभाग से मंजूरी मिलने के बाद 2023-24 में एडवेंट ने दफ्तरी परिवार से बाकी 26 फीसदी हिस्सेदारी भी खरीद ली। अब वह बीएसवी से निकलना चाह रही है।

अनुमान है कि वित्त वर्ष 2024 में बीएसवी का कर पूर्व मुनाफा 500 करोड़ रुपये रहा और वित्त वर्ष 2025 में कंपनी 650 करोड़ रुपये मुनाफा कमाना चाहती है। एडवेंट को वित्त वर्ष 2025 के कर पूर्व मुनाफे से 20 से 25 गुना कीमत मिलने की उम्मीद है।

घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले उद्योग सूत्रों ने कहा कि बीएसवी महिला स्वास्थ्य से जुड़े उत्पादन बनाती है। साथ ही वह प्रजनन चिकित्सा में मदद करती है और क्रिटिकल केयर उत्पाद भी बनाती है।

सूत्रों ने कहा, ‘नि:संतानता के मामले बढ़ने के कारण ऐसे उत्पादों और सेवाओं की काफी मांग है तथा इनका बाजार तेजी से बढ़ रहा है। यही वजह है कि फार्मा कंपनियां बीएसवी में दिलचस्पी दिखा रही हैं।’ एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 2 करोड़ दंपती नि:संतानता से जूझ रहे हैं और दुनिया भर में ऐसे 6 से 8 करोड़ दंपती हैं।

पिछले साल के अंत से कई खबरों में दावा किया गया है कि जायडस कैडिला, डीआरएल और कार्लाइल, ब्लैकस्टोन तथा केकेआर जैसी पीई दिग्गज बीएसवी में एडवेंट की हिस्सेदारी लेना चाहती हैं।

भारत सीरम ऐंड वैक्सीन्स की शुरुआत विनोद दफ्तरी ने 1971 में की थी। शुरू में ब्लड बैंक खोला गयाथा और बाद में गर्भवती महिलाओं के लिए इंजेक्टेबल बनाए गए। कुछ साल बाद कंपनी ने पॉलीक्लोनल सीरा का निर्यात शुरू कर दिया और ठाणे में कारखाना भी लगाया। जर्मनी में भी कंपनी का कारखाना है और वह अपने पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के जरिये फिलिपींस में भी कारोबार करती है।

डीआरएल ने इस साल की शुरुआत में अमेरिकी कंपनी अमाइरिस इंक का मेनोलैब्स कारोबार दिवालिया प्रक्रिया के तहत खरीद लिया था। इसमें महिलाओं के स्वास्थ्य और भोजन से जुड़े ब्रांडेड सप्लीमेंट बिकते हैं। मगर कंपनी ने यह नहीं बताया कि सौदा कितने में हुआ।

डीआरएल देश की शीर्ष 5 फार्मा कंपनियों में शुमार होना चाहती है और इसके लिए वह लाइसेंस लेकर तथा साझेदारी कर अपना पोर्टफोलियो बढ़ा रही है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ हालिया बातचीत में डीआरएल के मुख्य कार्याधिकारी, ब्रांड मार्केट्स (भारत और उभरते बाजार) एमवी रमन्ना ने कहा था कि भारत में वृद्धि के लिए कंपनी कंपनी अधिग्रहण के मौके भी तलाश रही है।

फिलहाल डीआरएल (DRL) की कुल आय में पुराने रोगों के उपचार की हिस्सेदारी 30 फीसदी है। इस तरह के इलाज में मरीज महीनों तक या कई बार ताउम्र दवाएं लेता  रहता है।

मैनकाइंड फार्मा ने भी चौथी तिमाही के नतीजों के बाद विश्लेषकों के साथ बातचीत में संकेत दिया था कि वह पुरानी बीमारियों, उपभोक्ता तथा अन्य क्षेत्रों में अधिग्रहण की संभावना तलाश रही है।

कंपनी के बोर्ड ने इसके लिए 7,500 करोड़ रुपये तक पूंजी जुटाने की मंजूरी दी है। मैनकाइंड फार्मा के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राजीव जुनेजा ने विश्लेषकों से बातचीत में कहा था कि बोर्ड ने शेयर जारी कर पूंजी जुटाने की मंजूरी दी है ताकि अच्छा सौदा मिलने पर खरीद के लिए रकम तैयार रहे।

First Published - June 18, 2024 | 10:09 PM IST

संबंधित पोस्ट