रणनीतिक विनिवेश पर विभागों में मतभेद

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 2:28 AM IST

रणनीतिक विनिवेश के लिए तैयार सूची में शामिल कंपनियों के मूल्यांकन पर वाणिज्य विभाग (डीओसी) और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) आमने-आ गए हैं। वाणिज्य विभाग ने रणनीति निवेश के लिए छांटी गई कंपनियों के मूल्यांकन की विधि पर चिंता जताई है। इससे सरकार को एक बार फिर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के मूल्यांकन की विधि पर विचार करना पड़ रहा है। 
वित्त मंत्रालय के अधीनस्थ दीपम ने सार्वनिक क्षेत्र के उद्यमों के मूल्यांकन के लिए उद्यम मूल्य (एंटरप्राइज वैल्यू) विधि का इस्तेमाल किया है मगर वाणिज्य विभाग ने इस पर आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने कहा है कि सरकार सामान्तया विनिवेश के लिए इस विधि का इस्तेमाल नहीं करती है। इस विधि में शेयरों की बिक्री होती है और कर्ज का निपटान सफल बोलीदाता को करता पड़ता है। 
विभाग ने यह भी कहा कि विनिवेश के लिए सरकार जो मानक विधि अपनाती है उसके तहत हिससेदारी (इक्विटी) का अधिक से अधिक मूल्य हासिल किया जाता है लेकिन एंटरप्राइजेज वैल्यू का तरीका यह मकसद पूरा नहीं कर पाएगा। सरकार एनआईएनएल में 93.71 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है जो केंद्रीय एवं राज्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के पास है। 
वाणिज्य विभाग का कहना था कि एनआईएनएल के लिए प्रस्तावित एंटरप्राइज वैल्यू विधि ‘अनुपयुक्त’ है और इससे कंपनियां ऊंची बोलियां नहीं लगाएगी। विभाग के अनुसार बोलियों की जद में कर्ज का एक छोटा हिस्सा ही आ पाएगा और विनिवेश से अधिक राजस्व नहीं मिल पाएगा।  
एंटरप्राइज वैल्यू में कर्ज एवं पूंजी दोनों शामिल होते हैं जबकि इक्विटी वैल्यू विधि से मूल्यांकन तय करने के लिए एंटरप्राइज वैल्यू में कंपनी की देनदारियां घटा दी जाती हैं। 
बिजनेस स्टैंडर्ड ने एनआईएनएल के विनिवेश से जुड़े दस्तावेज का अध्ययन किया है। दस्तावेज के अनुसार विभाग ने कहा है कि इक्विटी वैल्यू विधि अपनाई गई होती तो सभी कर्ज निपटाकर बोलियों की संरचना में बदलाव होते और कंपनी में हिस्सेदारी के लिए बोलियों की पेशकश की जाती जिससे अधिक राजस्व हासिल होता। विभाग ने सुझाव दिया है कि एनआईएनएल के सफल बोलीदाता को प्रवर्तकों के कर्ज का भुगतान करना चाहिए और सुरक्षित कर्जदाताओं के ऋण आगे बढ़ाना चािहए।
हालांकि दीपम के अनुसार इससे बोली प्रक्रिया काफी पेचीदा हो जाएगी और वित्तीय एवं परिचालन कर्जदाता ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया प्रक्रिया (आईबीसी) शुरू कर देंगे। दीपम ने कहा 
कि यह उसके द्वारा शुरू की गई बोली संरचना के भी खिलाफ होगा। दीपम ने कहा है कि उसके सचिव और प्रशासनिक विभाग के सचिव की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालय समूह की बैठक में सर्व सम्मति से एंटरप्राइज वैल्यू विधि अपनाने का निर्णय लिया गया है। दीपम ने कहा कि लेनदेन सलाहकार की सलाह पर यह कदम उठाया गया है।

First Published : July 22, 2021 | 11:45 PM IST