बढ़ती उत्पादन लागत के बावजूद इस्पात कंपनियों में कहीं खुशी तो कहीं गम

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:05 AM IST

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही इस्पात उद्योग के लिए मिश्रित हो सकती है। यह क्षेत्र एकीकृत इस्पात निर्माताओं के लिए मुनाफे में कम से कम 15 फीसदी की बढ़त दर्ज कर सकता है।


कंपनियों के मुनाफे और बिक्री में बढ़ोतरी कच्चे पदार्थों के अनुबंधों को अंतिम रूप दिए जाने और बढ़ती लागत को वहन करने की उनकी क्षमता से जुड़ी हुई होगी। पूर्ववर्ती वर्ष की इसी तिमाही में धातु की कीमतों में 17 फीसदी का इजाफा हुआ।

टाटा स्टील जैसी इस्पात निर्माता कंपनियों, जिनके पास केप्टिव कच्चे पदार्थ बड़ी मात्रा में मौजूद हैं, अन्य कंपनियों की तुलना में बढ़त हासिल कर सकती हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है कि ये कंपनियां कच्चे माल की कीमत बढ़ोतरी के एक बड़े हिस्से को वहन करने में सक्षम हैं।

कोकिंग कोल की कीमतों में 200 फीसदी से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है वहीं लौह अयस्क की कीमतें भी एक साल में दोगुनी हो गई हैं। एकल आधार पर टाटा स्टील के पास 100 फीसदी लौह अयस्क और 60 फीसदी कोकिंग कोल सुरक्षित है। कंपनी बिक्री में 22 फीसदी की उछाल के साथ 30 जून को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए मुनाफे में 31 फीसदी का इजाफा दर्ज कर सकती है। इस उद्योग के जानकारों के मुताबिक इस इस्पात कंपनी का ऑपरेटिंग लाभ मार्जिन तकरीबन 42 फीसदी होने की संभावना है।

क्रिसिल के प्रमुख (अनुसंधान) आशुतोष सत्संगी ने बताया कि गैर-एकीकृत इस्पात कंपनियों के लिए आगामी तिमाही में ऑपरेटिंग मार्जिन तकरीबन 16 फीसदी और एकीकृत कंपनियों के लिए 27 फीसदी होगा जो 2007-08 के 9 महीनों में 6-8 फीसदी की गिरावट को दर्शाता है। लेकिन टाटा स्टील इसका अपवाद है। कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2008-09 में ईबीआईडीटीए मार्जिन 43 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की जो पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में 2 फीसदी अधिक है।

स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसएआईएल) जैसे अन्य एकीकृत इस्पात उत्पादकों के मुनाफे में थोड़ा बदलाव आया है। हालांकि तिमाही में कंपनी की बिक्री में 24 फीसदी का इजाफा हुआ, लेकिन इसे अपनी कोयला जरूरतों का 65 फीसदी कोयला आयात करना पड़ा था जिसके कारण इसके मार्जिन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। एक सर्वे के मुताबिक इस सरकारी कंपनी का ऑपरेटिंग लाभ मार्जिन घट कर आधा रह जाने की संभावना है।

लौह अयस्क के लिए एसएआईएल के पास 100 फीसदी केप्टिव स्रोत मौजूद हैं। जेएसडब्ल्यू स्टील के पास 25 फीसदी लौह अयस्क है और यह 100 फीसदी कोयला आयात करती है वहीं एस्सार स्टील और इस्पात इंडस्ट्रीज के पास केप्टिव खदानें नहीं हैं। संबद्ध तिमाही के लिए जेएसडब्ल्यू के मुनाफे में तकरीबन 9 फीसदी की गिरावट देखी जा सकती है।

First Published : July 10, 2008 | 12:02 AM IST