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IOCL के इनपुट टैक्स रिफंड के विवाद का दिल्ली हाईकोर्ट ने किया समाधान

जीएसटी कानून के तहत इनपुट टैक्स रिफंड तब लागू होता है जब आउटपुट शून्य टैक्स होता है या आउटपुट से अधिक इनपुट टैक्स हो।

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इंदिवजल धस्माना   
Last Updated- December 11, 2023 | 11:36 PM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय ने वस्तु एवं सेवा कर (सीएसटी) में तेल क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के इनपुट टैक्स रिफंड के विवाद का समाधान कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह फैसला केवल तेल उद्योग ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों के लिए भी मिसाल है।

कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इंडियन ऑयल कारपोरेशन के इनपुट टैक्स रिफंड को प्रोसेस करे, चाहे उनके प्रिंसिपल इनपुट और प्रिंसिपल आउटपुट पर कर की दर समान हो।

जीएसटी कानून के तहत इनपुट टैक्स रिफंड तब लागू होता है जब आउटपुट शून्य टैक्स होता है या आउटपुट से अधिक इनपुट टैक्स हो। इसे तकनीकी रूप से इनवर्टिड ड्यूटी स्ट्रक्चर कहा जाता है।

अन्य सभी मामलों में इनपुट टैक्स का इस्तेमाल आउटपुट पर कर की अदायगी के लिए किया जाता है जिसे तकनीकी रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) कहा जाता है। इस मामले में आईओसीएल को इनपुट टैक्स रिफंड से मना कर दिया गया था। थोक तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) पर पांच प्रतिशत इनपुट टैक्स है और ऐसा ही प्रिंसिपल आउटपुट एलपीजी की बोतल पर है। इस दलील के आधार पर आईओसीएल ने दावा किया कि इन सभी का इनपुट पांच प्रतिशत से अधिक है। लिहाजा वह इनपुट टैक्स रिफंड के योग्य है।

आईओसीएल थोक में एलपीजी के अलावा सिलिंडर की सुरक्षा के अन्य कई अन्य वस्तुओं पर भी इनपुट का इस्तेमाल करता है। इनमें वॉल्व, सेफ्टी कैप, नॉयलान का धागा, स्टैनलेस स्टील क्लिप, प्लास्टिक सील, लुब्रिकेंट्स, नट और बोल्टल, गैसकेट, पानी का पंप, फ्यूल फिल्टर, तेल, क्लैम्प, आग बुझाने वाले अग्निशामक आदि हैं। अदालत ने आईओसीएल के पक्ष में फैसला सुनाया।

ईवाई के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि यह फैसला अपने में ऐतिहासिक है। इसमें न केवल आईओसीएल के रिफंड मिलने को जायज ठहराया गया है बल्कि जीएसटी के तहत होने वाले सभी कारोबारी संचालन के लिए मिसाल तय की है।

First Published : December 11, 2023 | 11:05 PM IST