SpiceJet Legal Dispute: दिल्ली हाई कोर्ट ने कारोबारी कलानिधि मारन और उनकी कंपनी केएएल एयरवेज की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने स्पाइसजेट से ₹1,300 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा मांगा था। ये जानकारी खुद स्पाइसजेट ने सोमवार को एक रेगुलेटरी फाइलिंग में दी। कोर्ट का यह फैसला 23 मई 2025 को आया।
इससे पहले ये दावा एक आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल और फिर हाई कोर्ट की एकल पीठ द्वारा खारिज किया जा चुका है। अब यह तीसरी बार है जब केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन की अपील अदालत ने खारिज कर दी है। स्पाइसजेट ने कहा, “ये दावे तीन रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जजों की आर्बिट्रल बेंच द्वारा पूरी तरह से जांचे गए और खारिज किए गए थे। फिर इन ही दावों को एकल पीठ के सामने दोबारा रखा गया था, जहां से भी इन्हें खारिज कर दिया गया।”
यह विवाद करीब 10 साल से ज्यादा पुराना है। साल 2010 में कलानिधि मारन और उनकी कंपनी केएएल एयरवेज़ ने स्पाइसजेट में बड़ी हिस्सेदारी ली थी और उनकी हिस्सेदारी 37.7% से बढ़कर 58.46% हो गई थी। लेकिन फरवरी 2015 में उन्होंने अपनी पूरी हिस्सेदारी फिर से कंपनी के मूल संस्थापक अजय सिंह को सौंप दी थी, जो एक पुनरुद्धार समझौते का हिस्सा था।
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मारन और केएएल एयरवेज़ का कहना है कि उन्होंने वारंट और प्रेफरेंस शेयर्स के लिए ₹679 करोड़ चुकाए थे, लेकिन कंपनी ने ये शेयर्स कभी जारी ही नहीं किए। इसी को लेकर मामला कोर्ट तक पहुंचा। पहले एक आर्बिट्रल ट्राइब्यूनल ने मारन के पक्ष में फैसला दिया था और स्पाइसजेट को ₹579 करोड़ ब्याज सहित लौटाने को कहा था। लेकिन 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया और मामला फिर से जांच के लिए वापस भेजा गया। इसके बाद मारन और केएएल एयरवेज़ ने ₹1,323 करोड़ का नया दावा किया, जिसे स्पाइसजेट ने बार-बार “बेबुनियाद” और “खारिज हो चुका” बताया।
नए फैसले के बाद सोमवार सुबह 11:05 बजे बीएसई पर स्पाइसजेट के शेयर 2.62% की बढ़त के साथ ₹44.98 पर पहुंच गए।