वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच चालू कैलेंडर वर्ष के पहले सात महीनों के दौरान भारत में निजी इक्विटी (पीई) समर्थित विलय और अधिग्रहण (एमऐंडएम) का मूल्य छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान इन सौदों का कुल मूल्य घटकर 6.2 अरब डॉलर रह गया,जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में नौ अरब डॉलर और साल 2019 की 7 माह की अवधि में 14 अरब डॉलर था।
पीई फंड अधिक रिटर्न वाले अवसरों में निवेश करने के लिए धनाढ्य व्यक्तियों सहित निवेशकों से पूंजी जुटाते हैं। जुलाई में इन सौदों का कुल मूल्य 30 करोड़ डॉलर था और इसमें इससे पिछले महीने के 1.2 अरब डॉलर के मुकाबले तेज गिरावट आई है। ये आंकड़े उन सौदों के बारे में बताते हैं जो भारत में किए गए फिर भले ही अधिग्रहणकर्ता का मूल देश कोई भी रहा हो।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर मयंक जसवाल के अनुसार भारत में पीई समर्थित सौदों में इस गिरावट के लिए उन पीई फंडों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जिनके पास 20 अरब डॉलर की रकम है और वे बेहतर मौकों का इंतजार कर रहे हैं। जुलाई में भी पीई समर्थित सौदों की संख्या में तीव्र गिरावट नजर आई और यह घटकर 45 महीने के निचले स्तर 21 पर आ गई।
एलएसईजी डील्स इंटेलिजेंस के वरिष्ठ प्रबंधक एलेन टैन ने ईमेल जवाब में कहा, ‘यह गिरावट सौदेबाजी में सतर्कता के व्यापक रुझान को बताती है क्योंकि कई प्रतिकूल परिस्थितियों ने खरीद और रकम जुटाने की गतिविधियों को काफी हद तक कम कर दिया है।’
कुल मिलाकर साल 2024 के पहले सात महीनों के दौरान विलय और अधिग्रहण के सौदों का मूल्य पिछले वर्ष की इतनी ही अवधि के 38.2 अरब डॉलर के मुकाबले 4.5 प्रतिशत बढ़कर 39.9 अरब डॉलर हो गया। हालांकि यह आंकड़ा साल 2019 में दर्ज की गई 48.5 अरब डॉलर की राशि के मुकाबले कम है।
जुलाई में सौदों का कुल मूल्य 4.8 अरब डॉलर था जिसमें एक महीने पहले के 7.1 अरब डॉलर की तुलना में गिरावट आई है। साल के पहले सात महीने के दौरान एक अरब डॉलर से कम वाले सौदों में यह नरमी नजर आई है।
टैन ने बताया ‘एक अरब डॉलर से कम के सौदों के मूल्य मों, जो आम तौर पर बड़े सौदों से इतर सौदों का बड़ा हिस्सा होते हैं, सालाना आधार पर 11 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। यह साल 2020 के बाद से पहले सात महीनों में सबसे निचला स्तर है। इस श्रेणी में सौदों की संख्या पिछले साल की तुलना में 17 प्रतिशत घट गई।’
जुलाई में विलय और अधिग्रहण के सौदों की कुल संख्या 38 महीने के निचले स्तर पर गिरकर 116 रह गई। जसवाल ने कहा ‘इस साल 40 से अधिक देशों में चुनाव होने के साथ-साथ भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण वैश्विक स्तर पर सौदों की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। ब्याज की अधिक दरें भी राशि की उपलब्धता और उभरते बाजारों के प्रति निवेशकों की धारणा को प्रभावित कर रही हैं।’