आईटी क्षेत्र पर दबाव का असर इन्फोसिस पर भी दिखा है। इन्फोसिस ने अपने वित्त वर्ष 2024 के राजस्व वृद्धि अनुमान को घटाकर 1.5 से 2 प्रतिशत (स्थिर मुद्रा में) कर दिया है। पिछली तिमाही में उसने यह राजस्व 1 से 3.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया था।
हालांकि बेंगलूरु में मुख्यालय वाली इस आईटी कंपनी ने अपना परिचालन मार्जिन अनुमान वित्त वर्ष 2024 के लिए 20-22 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
राजस्व के लिहाज से भारत की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक इन्फोसिस ने दिसंबर तिमाही में 6,106 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है, जो एक साल पहले के मुकाबले 7.3 प्रतिशत और तिमाही आधार पर 1.7 प्रतिशत कम है। साथ ही राजस्व ब्लूमबर्ग के 6,167 करोड़ रुपये के अनुमान से भी थोड़ा कम है।
दिसंबर तिमाही में कंपनी का राजस्व एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 1.3 प्रतिशत बढ़कर 38,821 करोड़ रुपये रहा, जो ब्लूमबर्ग के 38,670 करोड़ रुपये के अनुमान से अधिक है। तिमाही आधार पर राजस्व सिर्फ 0.4 प्रतिशत बढ़ा।
तीसरी तिमाही को आईटी कंपनियों के लिए अपेक्षाकृत कमजोर तिमाही माना जाता है। इन्फोसिस का डॉलर राजस्व स्थिर मुद्रा के संदर्भ में सालाना और तिमाही आधार पर 1 प्रतिशत घटकर 4.7 अरब डॉलर रहा।
सौदों के राजस्व में तब्दील नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर बिजनेस स्टैंडर्ड के सवाल का जवाब देते हुए इन्फोसिस के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक सलिल पारेख ने कहा, ‘बड़े सौदे ग्राहकों के साथ हमारे संबंध के स्तर को दर्शाते हैं।
वहीं राजस्व दर्शाता है कि सौदे क्या योगदान दे रहे हैं और ग्राहक कौन से कार्यक्रम कर रहे हैं। ग्राहकों के साथ पिछली कुछ तिमाहियों में देखा गया है कि डिजिटल कार्यक्रम कम हो गए हैं।’
भारतीय आईटी सेवा उद्योग को पिछली कुछ तिमाहियों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इन चुनौतियों की वजह से ग्राहकों को निर्णय लेने और सौदे पूरे करने में विलंब हो रहा था।
इस वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही के लिए परिचालन मार्जिन पिछले वर्ष की समान तिमाही के 21.5 प्रतिशत से घटकर 20.5 प्रतिशत रह गया। रिटेल से राजस्व 0.4 प्रतिशत बढ़ा और दिसंबर तिमाही तक कुल राजस्व में इसका योगदान 14.6 प्रतिशत था।