डैटाकॉम सॉल्युशंस ने राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर सॉल्युशन मुहैया कराने के लिए चार आईटी कंपनियों के साथ करार किया है।
यह करार तकरीबन 7 साल के लिए किया गया है, जो लगभग 3,000 करोड़ रुपये का है। कंपनी आईबीएम, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), टेक महिन्द्रा और विप्रो के साथ बातचीत के अंतिम दौर में है। डैटाकॉम सॉल्युशंस ने इस होड़ में शामिल हुई एचसीएल टेक्नोलॉजिज को इन चार कंपनियों की सूची से बाहर रखा है।
इस बारे में जब डैटाकॉम सॉल्युशंस के मुख्य कार्यकारी रवि शर्मा से संपर्क किया गया तो करार की बात स्वीकार की। हालांकि उन्होंने करार की वित्तीय शर्तों का खुलासा नहीं किया। कंपनी अपने आईटी सॉल्युशन की आउटसोर्सिंग के बारे में सोच रही है, जिसे लिए किसी कंपनी के साथ राजस्व के आधार पर हाथ मिलाया जाएगा।
हालांकि दूरसंचार कंपनियों को जिन क्षेत्रों में महारत हासिल होती है, उसी के आधार पर वे कंपनियों को अपनी आईटी सेवाएं आउटसोर्स करती हैं। लेकिन राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर ऐसा करार देश में पहली बार होगा। भारतीय दूरसंचार कंपनियां आउटसोर्सिंग नेटवर्क और आईटी प्रबंधन पर ध्यान दे रही हैं।
वर्ष 2004 में 1,720 करोड़ रुपये में एरिक्सन को अपने नेटवर्क प्रबंधन की आउटसोर्सिंग कर भारती एयरटेल ने इसकी शुरुआत की थी और बाद में उसने स्वीडन की इस कंपनी को तकरीबन 6,400 करोड़ रुपये का एक और ठेका दिया था। वोडाफोन-एस्सार ने 2007 में एक 5 साल के करार के तहत आईबीएम को आईटी परिचालन की आउटसोर्सिंग की थी।
इसी तरह आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी आइडिया सेल्युलर ने भी आईबीएम के साथ आईटी आउटसोर्सिंग के लिए 10 साल का समझौता किया। आइडिया सेल्युलर का यह सौदा तकरीबन 2,580 करोड़ से 3,440 करोड़ रुपये का है। 15 अगस्त से नेटवर्क शुरू करने की योजना बना रही डैटाकॉम सॉल्युशंस ने 7 करोड़ लाइनों के लिए विभिन्न कंपनियों से प्रस्ताव मांगे हैं।
छह प्रमुख कंपनियों एरिक्सन, नोकिया-सीमेंस, जेडटीई, अल्काटेल-ल्यूसेंट, हुआवेई और नोर्टल ने इसके जवाब में अपने प्रस्ताव भेजे हैं। रवि शर्मा ने बताया, ‘7 करोड़ लाइनों से अगले 5 साल में हमें 5 करोड़ ग्राहकों को सेवाएं देने में मदद मिलेगी। इंटेलिजेंट नेटवर्क (आईएन) प्लेटफॉर्म बनाने के लिए भी कंपनियों ने हमसे संपर्क किया है।’