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Google की बिलिंग नीति के ​खिलाफ याचिकाओं की सुनवाई को तैयार अदालत

मद्रास उच्च न्यायालय ने Google की बिलिंग नीति के ​खिलाफ 14 कंपनियों की याचिकाएं अगस्त 2023 में खारिज कर दी थीं

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- February 09, 2024 | 11:09 PM IST

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को गूगल की बिलिंग नीति को चुनौती देने वाले स्टार्टअप की याचिकाओं की सुनवाई करने पर सहमति जताई। हालांकि भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले पीठ ने स्टार्टअप कंपनियों को गूगल के प्ले स्टोर से हटाए जाने से बचाने के लिए कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। इसका मतलब यह है कि बिलिंग नीति से सहमत नहीं होने पर गूगल इन स्टार्टअप्स के ऐप्स को हटाने का विकल्प चुन सकता है।

स्टार्टअप्स के लिए पेश हुए वरिष्ठ अ​धिवक्ताओं मुकुल रोहतगी और बलबीर सिंह ने अदालत से उनकी तब तक सुर​क्षा करने का अनुरोध किया था जब तक कि मामला नहीं सुलझ जाता क्योंकि वे काफी छोटी कंपनियां हैं। लेकिन न्यायालय ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। 

मद्रास उच्च न्यायालय के खंडपीठ ने 19 जनवरी को गूगल की ऐप बिलिंग नीति के ​खिलाफ भारतीय स्टार्टअपों की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। हालांकि न्यायालय ने गूगल से तीन सप्ताह तक स्टार्टअपों के मोबाइल ऐप को प्ले स्टोर से नहीं हटाने को कहा है।

मद्रास उच्च न्यायालय ने गूगल की बिलिंग नीति के ​खिलाफ 14 कंपनियों की याचिकाएं अगस्त 2023 में खारिज कर दी थीं। याचिका दायर करने वाली कंपनियों में मैचमेकिंग वेबसाइट भारत मैट्रिमॉनी और एडटेक फर्म अनअकेडेमी शामिल हैं। मुद्रास उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह मामला भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के दायरे में आता है। स्टार्टअप कंपनियों ने इस निर्णय के ​खिलाफ अपील की थी। 

खंडपीठ में उनका अनुरोध ठुकराए जाने के बाद उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

First Published : February 9, 2024 | 11:09 PM IST