डीएचएफएल: समाधान में अड़चन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 4:28 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से नियुक्त दीवान हाउसिंग फाइनैंस (डीएचएफएल) के प्रशासक और लेनदारों ने एनसीएलटी के मुंबई पीठ के आदेश के खिलाफ एनसीएलएटी का दरवाजा खटखटाया है। एनसीएलटी ने लेनदारों की समिति को कंपनी के पूर्व प्रवर्तक की पेशकश को गुणों के आधार पर जांचने का आदेश दिया था। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
पीरामल समूह (जिसकी समाधान योजना को लेनदारोंं की मंजूरी मिल गई है), आरबीआई और भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग भी एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ एनसीएलएटी में अपील कर सकते हैं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि पीरामल समूह स्वतंत्र रूप से अपील दायर करेगा। इस मामले पर 25 मई को सुनवाई हो सकती है।
इस मामले पर इस हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है। एक बैंकर ने कहा, एनसीएलटी के आदेश से लेनदार खुश नहीं हैं और उम्मीद नहीं की थी कि ऐसा आदेश पारित किया जा सकता है। यह आदेश एक तरह का पिटारा खोल देगा क्योंकि अन्य प्रवर्तक भी इस मामले से जुडऩा शुरू कर देंगे और समाधान प्रक्रिया पटरी से उतार देंगे, ऐसे में हमने इस आदेश के खिलाफ अपील की है। यह अनावश्यक तौर पर समाधान प्रक्रिया में देर करेगा।
डीएचएफएल मामले में एनसीएलटी ने अपने आदेश में कहा था कि पूर्व प्रवर्तक कपिल वधावन का प्रस्ताव गुणों के आधार पर जांच का हकदार है और इसे लेनदारोंं की समिति के सामने वोटिंग के लिए रखा जाना चाहिए। इस आदेश में डीएचएफएल के प्रशासक से प्रवर्तक की पेशकश सीओसी के सामने रखने को कहा गया था और सुनवाई की अगली तारीख 31 मई तय की थी।
पिछले हफ्ते आदेश आने के बाद लेनदार अपने विकल्पों पर विचार कर रहे थे और अपील ट्रिब्यूनल में इस आदेश के खिलाफ अपील करना इन विकल्पों में से एक था। सीओसी पहले ही एक समाधान योजना के हक में मतदान कर चुके थे। बैंकर प्रवर्तक की निपटान योजना पर विचार करने को लेकर भयभीत थे क्योंकि यह खाता पहले ही धोखाधड़ी वाला घोषित किया जा चुका था।
लेनदारों के मुताबिक, उन्होंने कपिल वधावन के प्रस्ताव पर विचार किया था, लेकिन वाणिज्यिक आधार पर उसे खारिज कर दिया था।
वधावन अभी भी धनशोधन के मामले में जेल में हैं।
लिखित आदेश में ट्रिब्यूनल ने कहा, दूसरा प्रस्ताव गुणों के आधार पर जांच का हकदार है लेकिन इस पर फैसला लेने के लिए सीओसी के सदस्योंं की वोटिंग होनी चाहिए और अगर उसे वाणिज्यिक तौर पर सीओसी के सदस्य प्रतिकूल पाते हैं तो उस प्रस्ताव को खारिज किया जा सकता है।
अपने आदेश में ट्रिब्यूनल ने कहा कि वधावन का 91,158 करोड़ रुपये का निपटान प्रस्ताव सबसे ऊंची बोलीदाता पीरामल समूह के 37,250 करोड़ रुपये के प्रस्ताव से काफी ज्यादा है। आदेश के मुताबिक, चूंकि निपटान प्रस्ताव सबसे ऊंची
बोलीदाता से काफी बड़ा है, लिहाजा प्रशासक व सीओसी को इस पर विचार करना चाहिए।
ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि निपटान प्रस्ताव से हजारों छोटे निवेशकों, सावधि जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान किया जाएगा, लिहाजा हजारों छोटे निवेशकों को अपने बकाया मूलधन का 100 फीसदी हासिल हो जाएगा।
लेनदारों ने डीएचएफएल पर 87,000 करोड़ रुपये के बकाए का दावा किया था।

First Published : May 24, 2021 | 11:31 PM IST