रुचि सोया इंडस्ट्रीज ने मंगलवार को दावा किया कि उसके फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) में निवेश से जुड़े एसएमएस कंपनी या उसके प्रवर्तकों द्वारा जारी नहीं किए गए हैं। कंपनी ने इस मामले में जांच के लिए प्राथमिकी (एफआईआर) दायर कराई है।
रुचि सोया ने एक अखबार को दिए विज्ञापन में कहा, ‘हम निवेशकों को बताना चाहते हैं कि यह मैसेज हमारी कंपनी या हमारे किसी निदेशक, प्रवर्तक, प्रवर्तक समूह, या समूह कंपनी द्वारा जारी नहीं किया गया है। 27 मार्च 2022 को दायर एफआईआर (संख्या 0188) हमारी कंपनी द्वारा हरिद्वार में एक पुलिस थाने में दर्ज कराई गई जिससे कि इस संदेश के बारे में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67ए और भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 420 के तहत जांच कराई जा सके।’
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रुचि सोया इंडस्ट्रीज को निर्देश दिया है कि वह उन निवेशकों को गलत मैसेज प्रसारित होने की वजह से अपने आवेदनों से निकलने की अनुमति दे, जिन्होंने 4,300 करोड़ रुपये के इस आईपीओ में हिस्सा लिया था। निवेश आवेदन से निकलने का विकल्प बुधवार तक खुला रहेगा।
बीएसई के आंकड़े से सभी श्रेणियों से बड़ी तादाद में आवेदनों के वापस लौटाए जाने का पता चला है। हालांकि एक्सचेंज ने बाद में यह स्पष्ट किया कि उसने डेटा गलत तरीके से पेश किया, लेकिन आवेदनों को वापस करने के बारे में वास्तविक आंकड़े का खुलासा नहीं किया था। निवेश बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि निवेशकों द्वारा वापस ली गई बोलियों की संख्या कई हजार थी।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि यदि मैसेज वाकई कंपनी द्वारा जारी नहीं किया गया था तो सेबी कदम काफी सख्त था।
सेबी के कदम की वजह से कंपनी ने एफपीओ कीमत तय करने के लिए अपनी बोर्ड बैठक मंगलवार से टालकर गुरुवार कर दी है। सोमवार को बंद हुए रुचि सोया के एफपीओ को 3.6 गुना अभिदान मिला है।