अग्रणी प्राइवेट इक्विटी फर्मों के सीईओ ने आज यहां कहा कि ज्यादा निजी इक्विटी और उद्यम पूंजी निवेश ने भारतीय कंपनियों के बीच संचालन की उत्कृष्टता और जवाबदेही को बढ़ावा दिया है। इससे उनके मूल्यांकन बेहतर हो रहे हैं। बेन कैपिटल में पार्टनर (प्राइवेट इक्विटी) आशिष कोटेचा ने बिजनेस स्टैंडर्ड बीएफएसआई इनसाइट समिट में कहा कि निवेश करने के बाद उच्च संचालन मानकों का एक तत्व होता है, जो सही राह चुनने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण लेने के लिहाज से रणनीति का एक अवयव होता है।
क्योंकि हमारे पास लंबा दायरा होता है जिसके भीतर कंपनियां इन व्यवसायों का निर्माण करना चाहती हैं। कोटेचा ने जोर दिया कि निजी इक्विटी के मूल्य का सबसे मजबूत संकेतक दीर्घकालिक ट्रैक रिकॉर्ड और पोर्टफोलियो कंपनियों पर मापने योग्य प्रभाव होता है।
ब्लैकसॉइल कैपिटल के सह-संस्थापक और एमडी अंकुर बंसल ने कहा कि सार्वजनिक बाजारों पर बढ़ते ध्यान ने कई व्यवसायों को बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद की है। बंसल ने कहा कि व्यवसाय के मूल तत्वों से कारोबार को ठीक किया जाता है क्योंकि अंततः सार्वजनिक बाजार अब उनके लिए बाहर निकलने की नई राह बन गई है।
व्यावसायिक दृष्टिकोण से जब मैं अपनी तरफ से देखता हूं तो देखता हूं कि ऋण की मांग कई गुना बढ़ गई है क्योंकि इक्विटी की आपूर्ति कम हो गई है। अधिक से अधिक लोग पूंजी के अन्य जरियों की तलाश कर रहे हैं और वह उनके लिए पूंजी तक पहुंचने का महत्त्वपूर्ण तरीका बन गया है।
मल्टीपल्स ऑल्टरनेट ऐसेट मैनेजमेंट के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुधीर वारियर ने कहा कि अधिकांश उच्च-गुणवत्ता वाले संस्थागत निवेशक, वैश्विक पेंशन फंड, संस्थान कई वर्षों से निजी इक्विटी को बहुत करीब से देख रहे हैं और वे भारतीय संदर्भ में वही संचालन व्यवस्था लाते हैं। इसलिए फंडों में गवर्नेंस की संरचना बहुत अच्छी तरह से विकसित हुई हैं। कुल मिलाकर आप पाएंगे कि निजी इक्विटी फंड अच्छी तरह से प्रशासित हैं।
समारा कैपिटल के प्रबंध निदेशक अभिषेक काबरा ने भारत में पीई निवेश को तीन श्रेणी में बांटा है : वेंचर कैपिटल, ग्रोथ कैपिटल और बायआउट फंड। वेंचर कैपिटल फंड प्राथमिक तौर पर उन संस्थापकों को सहायता देते हैं जो अपना कारोबार स्थापित करना चाहते हैं।
ग्रोथ कैपिटल आईपीओ की तैयारी करने वाली कंपनियों पर नजर रखते हैं और उन्हें नए उत्पादों और बाजारों में विस्तार में मदद करते हैं।