केंद्रीय उपभोक्ता सुरक्षा प्राधिकरण (सीसीपीए) ने अनुचित कारोबार व्यवहार और उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन के लिए टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनियों ओला और उबर को नोटिस थमा दिया है। सीसीपीए ने कहा, ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) के आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल 2021 से 1 मई 2022 के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा ओला के खिलाफ 2,482 और उबर के खिलाफ 770 शिकायतें दर्ज कराई गई थीं।’
पिछले सप्ताह सीसीपीए ने टैक्सी सेवा प्रदाता कंपनियों ओला, उबर, रैपिडो, मेरू कैब्स और जुगनू के साथ एक बैठक की थी। इस बैठक में विभाग ने उन्हें एनसीएच में उपभोक्ताओं की शिकायतों का त्वरित एवं सक्रियता से निपटान करने में सहयोग करने का निर्देश दिया था ताकि उपभोक्ताओं की शिकायतों का बेहतर तरीके से निपटारा हो सके और उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 2019 एवं ई-कॉमर्स नियमों का भी पालन सुनिश्चित हो सके।
शिकायतों के प्रकार की बात करें तो सॉफ्टबैंक के निवेश वाली ओला के खिलाफ सेवाओं में त्रुटियों से संबंधित 1,340 (54 प्रतिशत) शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। 521 मामले ऐसे थे जिनमें उपभोक्ताओं ने कहा था कि उनके द्वारा भुगतान की गई रकम वापस नहीं लौटाई गई। अन्य शिकायतें अनधिकृत शुल्क, निर्धारित किराये से अधिक रकम लेने एवं वादे के अनुसार उपहार नहीं दिए जाने से संबंधित थीं।
उबर इंडिया के मामले में 473 (61 प्रतिशत) शिकायतें सेवाओं में त्रुटियों से संबंधित थीं। 104 मामले (14 प्रतिशत) भुगतान की हुई रकम नहीं लौटाए जाने के थे। अन्य शिकायतें अनधिकृत शुल्क, किराये से अधिक रकम लेने और उपहार नहीं दिए जाने से संबंधित थीं।
सीसीपीए ने कहा कि नोटिस में जो प्रमुख मामले उठाए गए थे वे सेवाओं की गुणवत्ता में कमी से संबंधित थे। इनमें कंपनी के ग्राहक सेवा केंद्र से उपयुक्त प्रतिक्रिया नहीं मिलने, चालकों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से रकम लेने से इनकार करने और केवल नकद भुगतान पर जोर देने जैसी शिकायतें थीं। इनमें अधिक किराया लेने, चालकों का गैर-पेशेवर व्यवहार और एसी चलाने से इनकार करने जैसे मामले भी शामिल थे।
सीसीपीए ने कहा कि ग्राहक सेवा नंबर और शिकायत निवारण अधिकारी उपलब्ध नहीं होने से उपभोक्ताओं की शिकायतें दूर करने के लिए पर्याप्त ढांचा तैयार नहीं हो पा रहा है। यात्रा रद्द किए जाने पर शुल्क लगाने का भी कोई पुख्ता आधार नहीं है क्योंकि उस समयसीमा का जिक्र नहीं किया जाता है जिसमें यात्रा रद्द करने की इजाजत है। कैब बुक करने से पहले यात्रा रद्द करने पर लगाया गया शुल्क भी नहीं दिखाया जाता है। चालकों के नहीं आने या अमुक जगह नहीं जाने से सीधे इनकार करने के बाद जब यात्रियों को विवश होकर कैब कैंसल करना पड़ता है तब भी इसका शुल्क उपयोकर्ताओं को देना पड़ता है। सीसीपीए ने कहा कि कंपनियां एक ही मार्ग के लिए किराया लेने की जो विधि अपनाती हैं उसे लेकर भी तस्वीर साफ नहीं है। उपयोकर्ताओं की सहमति के बिना यात्रा के दौरान अतिरिक्त सेवाओं के बदले शुल्क वसूलना भी एक समस्या है। सीसीपीए ने कहा, ‘पूरे देश में दोनों कैब सेवा प्रदाता कंपनियों के खिलाफ उपभोक्ताओं ने विभिन्न मुद्दों से जुड़ी कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। हम देश में उपभोक्तओं के हितों की सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों पर लगातार नजर रखते हैं।’सीसीपीए के नोटिस पर प्रतिक्रिया लेने के लिए ओला एवं उबर को ई-मेल भेजा गया मगर समाचार लिखे जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया था।