Byju’s के फाउंडर्स का आरोप है कि IRP पर दबाव डालकर आवेदन को जानबूझकर रोका गया और जल्दबाजी में CoC का गठन कर लिया गया।
Byju’s के फाउंडर्स ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) चेन्नई बेंच को बताया कि अगर अंतरिम समाधान पेशेवर (IRP) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की अर्जी समय पर सौंपी होती, तो कंपनी दिवालिया प्रक्रिया से बाहर निकल सकती थी।
NCLAT इस मामले में Byju’s के को-फाउंडर रिजू रविंद्रन की उस अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) बेंगलुरु के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसने Byju’s के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया वापस लेने से इनकार कर दिया था।
BCCI से हुआ था समझौता
यह पूरा मामला Think & Learn Pvt. Ltd. (TLPL), जो Byju’s की पैरेंट कंपनी है, और BCCI के बीच हुए एक समझौते से जुड़ा है। BCCI ने जुलाई 2024 में 158 करोड़ रुपये की बकाया स्पॉन्सरशिप फीस को लेकर Byju’s के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू की थी।
Byju’s के फाउंडर्स के मुताबिक, कंपनी ने अगस्त 2024 में BCCI के साथ समझौता कर लिया था और पूरा निपटान अमाउंट एस्क्रो (escrow) खाते में जमा कर दिया था। Byju’s की ओर से वरिष्ठ वकील अरुण कथपालिया ने कहा, “समझौता तब हो चुका था, जब कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (CoC) का गठन भी नहीं हुआ था।”
हालांकि, अमेरिकी कर्जदाता GLAS Trust Company LLC, जिसने Byju’s के करीब 1.2 बिलियन डॉलर (लगभग 10,000 करोड़ रुपये) के टर्म लोन लेंडर्स का प्रतिनिधित्व करने का दावा किया, उसने इस समझौते के बावजूद दिवालिया प्रक्रिया वापस लेने पर रोक लगवा दी।
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कंपनी के फाउंडर्स ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में अपील दायर कर Committee of Creditors (CoC) के गठन को गलत ठहराया है। उनका दावा है कि यह कमेटी GLAS Trust Company LLC के दबाव में बनाई गई और इसकी प्रक्रिया सही नहीं थी।
अपील में कहा गया है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने जब Byju’s के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया वापस लेने के लिए आवेदन दिया, तो IRP को इसे तीन दिनों के भीतर NCLT में जमा करना था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
Byju’s के फाउंडर्स का आरोप है कि IRP पर दबाव डालकर आवेदन को जानबूझकर रोका गया और जल्दबाजी में CoC का गठन कर लिया गया, जिसमें GLAS को वित्तीय लेनदार (Financial Creditor) के रूप में शामिल कर लिया गया।
CoC की वैधता पर सवाल
CoC का गठन आमतौर पर उन वित्तीय लेनदारों की समिति के रूप में किया जाता है, जो दिवालिया प्रक्रिया में कंपनी का प्रतिनिधित्व करते हैं। लेकिन Byju’s की अपील में कहा गया है कि इस कमेटी की संरचना ही गलत तरीके से की गई है, जिससे इसकी वैधता पर सवाल उठते हैं।
अब NCLAT इस मामले पर गुरुवार को आगे सुनवाई करेगा और तय करेगा कि CoC का गठन सही था या नहीं।
Byju’s के को-फाउंडर रिजू रविंद्रन के वकील ने सोमवार को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) को बताया कि उन्होंने BCCI के साथ विवाद सुलझाने के लिए 158 करोड़ रुपये अपनी निजी रकम से चुकाए हैं। इसलिए, इस पैसे को कर्जदाताओं की समिति (CoC) की जांच से अलग रखा जाना चाहिए।
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रिजू रविंद्रन, जो Byju’s के फाउंडर बायजु रविंद्रन के छोटे भाई हैं, पहले ही ट्रिब्यूनल को बता चुके हैं कि BCCI के साथ समझौता तब हो चुका था, जब कर्जदाताओं की समिति (CoC) बनी भी नहीं थी।
क्या है पूरा मामला?
10 फरवरी को NCLT बेंगलुरु ने BCCI को निर्देश दिया कि वह 158 करोड़ रुपये के निपटारे की अर्जी CoC के सामने पेश करे। अगर CoC इसे स्वीकार कर लेता, तो Byju’s दिवालिया प्रक्रिया से बाहर आ सकता था।
हालांकि, अमेरिकी कर्जदाता GLAS Trust Company LLC और आदित्य बिड़ला फाइनेंस जैसे लेनदारों ने इसका विरोध किया। उनका दावा है कि BCCI के साथ हुआ समझौता ‘संदिग्ध धन’ से किया गया है।