अगर कोई कंपनी, संकटग्रस्त सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज को हासिल करना चाहती है तो उसकी अंटी में कम से कम 4,000 से 5,000 करोड़ रुपये तो होने ही चाहिए।
दूसरी ओर एक कंपनी तो सत्यम में 51 फीसदी से कम हिस्सेदारी खरीदने को ही तैयार नहीं है। कंपनी कानून बोर्ड (सीएलबी) द्वारा सत्यम को बेचने के लिए हरी झंडी दिखाने के बाद, इसको बेचने की हलचल तेजी से बढ़ गई है।
हालांकि, बोर्ड के निर्देशानुसार कंपनी को खुली बोली प्रक्रिया के तहत ही बेचा जा सकता है और इस प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की मौजूदगी अनिवार्य होगी। इस मामले में सत्यम का बोर्ड अगले हफ्ते कोई अंतिम फैसला करेगा। सीएलबी के इस फैसले पर कंपनी मामलों के मंत्रालय में भी सहमति है।
अब बात यहां पर अटकी हुई है कि बोर्ड कंपनी की 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचे या फिर 51 फीसदी। अगर बोर्ड 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का फैसला करता है तो उसे लगभग 69.7 लाख शेयर जारी करने होंगे और 50 रुपये प्रति शेयर की औसत कीमत से कंपनी के खाते में तकरीबन 3,500 करोड़ रुपये आएंगे।
इसी तरह अगर कंपनी 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचती है तो उसे लगभग 23.5 लाख शेयर जारी करने होंगे जिससे 50 रुपये प्रति शेयर की कीमत के हिसाब से कंपनी की झोली में तकरीबन 1,200 करोड़ रुपये आएंगे। कंपनी से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक इस कंपनी के लिए फिलहाल 1,200 करोड़ रुपये की रकम नाकाफी होगी।
स्पाइस समूह के चेयरमैन बी के मोदी पहले ही सत्यम में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं।
