सुपरटेक के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 8:33 PM IST

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक लिमिटेड को दिवालिया प्रक्रिया में शामिल कर लिया है। न्यायाधिकरण ने यूनियन बैंक की याचिका पर यह कदम उठाया है, जिसने 492 करोड़ रुपये के बकाये का भुगतान नहीं होने का दावा किया है। सुपरटेक पूरे उत्तर भारत में 30 से अधिक परियोजनाओं पर काम कर रही है।
एनसीएलटी के आदेश में उन दो लेनदेन का जिक्र किया गया है, जो फंस गए हैं। पहला वर्ष 2015 में ग्रेटर नोएडा में ईको विलेज 2 था, जिसकी अनुमानित लागत 1,106 करोड़ रुपये थी। इसके लिए बैंकों के एक कंसोर्टियम ने 350 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। इस लेनदेन में यूनियन बैंक सबसे बड़ा ऋणदाता था, जिसने 150 करोड़ रुपये के कर्ज दिए। वर्ष 2015 में यूनियन बैंक और विजया बैंक ने कंपनी को 200 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था। इसमें दोनों ऋणदाताओं ने कंपनी को 100-100 करोड़ रुपये के ऋण दिए। यह इसी परियोजना के दूसरे चरण के लिए था। हालांकि सुपरटेक ने तर्क दिया है कि बैंक ने ऋणों को एनपीए की श्रेणी में डालने और कंपनी को एनसीएलटी में घसीटने में निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया, लेकिन दिवालिया न्यायाधिकरण ने आदेश पर आगे बढऩे का फैसला कर लिया है। कंपनी ने कहा कि वह आदेश को चुनौती देने के लिए एनसीएलएटी में जाएगी।   
इसने अपनी विभिन्न परिसंपत्तियों में घर खरीदारों को चिंतित नहीं होने के लिए कहा है क्योंकि यह मामला महज एक परियोजना से संबंधित है। विभिन्न रिपोर्टों के मुताबिक दिवालिया प्रक्रिया से करीब 25,000 घर खरीदार प्रभावित होंगे। हालांकि कंपनी के एक प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि यह आंकड़ा सही नहीं है मगर उन्होंने कंपनी की तरफ से कोई आंकड़ा बताने से इनकार कर दिया।
रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म एनारॉक के अनुसंधान प्रमुख प्रशांत ठाकुर ने कहा, ‘अब खरीदार मझोले और छोटे डेवलपरों के उत्पादों से बचेंगे और ए ग्रेड वाले डेवलपरों से ही मकान खरीदेंगे ताकि परियोजना के निर्माण में किसी जोखिम से बचा जा सके। निश्चित रूप से आगे छोटे डेवलपरों को अपनी परियोजनाओं के लिए खरीदार हासिल करने में दिक्कत आएगी।’ कंपनी ने एक बयान में कहा, ‘घर खरीदारों के हित में बैंक का बकाया चुकाने के बजाय परियोजना के निर्माण एवं डिलिवरी पर पहले जोर दिया गया। बैंक का बकाया परियोजना पूरी होने के बाद चुकाया जा सकता है।’ इसने कहा, ‘कंपनी की सभी परियोजनाएं वित्तीय रूप से लाभप्रद हैं, इसलिए किसी पक्ष या वित्तीय ऋणदाता को घाटा होने के आसार नहीं हैं।’

First Published : March 25, 2022 | 10:49 PM IST