अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज वित्त वर्ष 2026 में पांच नए अस्पतालों के साथ 1,400 बेड जोड़कर महानगरों में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए तैयार है। विस्तार की इस प्रक्रिया से मेट्रो शहरों में उसकी उपस्थिति और मजबूत होगी। विस्तार के तहत गुरुग्राम में 500 बेड बढ़ाना, हैदराबाद में नया अस्पताल शुरू करना, दिल्ली में महिला कैंसर रोगियों के लिए खास सेंटर शुरू करना और कोलकाता एवं पुणे में अतिरिक्त सुविधाएं बढ़ाना शामिल है।
अपोलो हॉस्पिटल्स के समूह मुख्य वित्त अधिकारी कृष्णन अखिलेश्वरन ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2026 में हम पांच नए अस्पतालों में 1,400 से अधिक बेड जोड़ने वाले हैं। इनमें से अधिकतर साल के अंत तक शुरू हो जाएंगे। गुरुग्राम, हैदराबाद, दिल्ली, कोलकाता और पुणे जैसे शहरों में विस्तार से प्रमुख महाशहरों में हमारी उपस्थिति और भी मजबूत हो जाएगी जहां हम पहले से ही काफी मजबूत हैं।’
कुल मिलाकर अपोलो का लक्ष्य अगले तीन से चार वर्षों में 11 स्थानों पर 3,512 बेड जोड़ने का है। अपोलो सक्रिय रूप से तीन प्रमुख क्षेत्रों में अपनी टेलीमेडिसिन सेवा का विस्तार कर रही है। इनमें अपोलो 24/7 प्लेटफॉर्म के जरिये परामर्श, जिला अस्पतालों में सहायता के लिए सरकार के साथ साझेदारी और सार्वजनिक क्षेत्र के बड़े उपक्रमों के संग कॉरपोरेट करार शामिल है।
घरेलू विस्तार के अलावा कंपनी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी टेलीहेल्थ बढ़ाने पर नजर है। अखिलेश्वरन ने कहा, ‘हमने इंडोनेशिया के मायपाडा हेल्थकेयर समूह के साथ एक करार किया है। इसमें टेली आईसीयू और टेली रेडियोलॉजी सेवाएं शामिल है। हमारे वैश्विक कारोबार में हम टेलीहेल्थ की महत्त्वपूर्ण भूमिका देख रहे हैं।’
कैंसर केयर पर कंपनी के ध्यान केंद्रित करने के बारे में अपोलो हॉस्पिटल डिवीजन में प्रेसिडेंट और मुख्य कार्य अधिकारी मधु शशिधर ने स्पष्ट किया कि अपोलो चेन्नई में अपने प्रोटॉन थेरेपी सेंटर के अलावा कहीं और विशिष्ट कैंसर यूनिट का परिचालन नहीं करती है। इसके बजाय कैंसर के इलाज के लिए अस्पताल लचीला नजरिया अपनाता है और जरूरत के अनुसार बेड क्षमता को समायोजित किया जाता है। कैंसर केयर का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बाह्य रोगी सेवाओं में स्थानांतरित होने के कारण अपोलो का लक्ष्य एकीकृत अस्पताल नेटवर्क के जरिये अपनी उपचार क्षमताओं को बढ़ाना है।
उन्होंने कहा, ‘हमारे सभी बड़े अस्पताल ऑन्कोलॉजी (कैंसर) के मरीजों का इलाज करने के लिए सक्षम हैं, क्योंकि बेड की क्षमता कोई समस्या नहीं है और कैंसर केयर का एक बड़ा हिस्सा बाह्य रोगी विभाग में स्थानांतरित हो रहा है।’