कर्नाटक के लोकप्रिय दूध ब्रांड नंदिनी के साथ बाजार में संघर्ष को लेकर राजनीतिक विवाद में फंसने के बीच अमूल ब्रांड के तहत दुग्ध उत्पादों की बिक्री करने वाली गुजरात की सहकारिता कंपनी के प्रमुख ने मंगलवार को कहा कि वह बेंगलूरु में केवल ऑनलाइन चैनल के जरिये दूध और दही बेचेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि नंदिनी दूध के साथ उनकी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। नंदिनी दूध राज्य सरकार की सब्सिडी की वजह से सस्ता बैठता है।
गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा कि ‘अमूल बनाम नंदिनी’ परिदृश्य नहीं हो सकता क्योंकि दोनों सहकारी समितियां किसानों के स्वामित्व वाली हैं।
उन्होंने कहा कि जीसीएमएमएफ अपने अमूल उत्पादों को केवल ई-कॉमर्स मंच के माध्यम से बेचेगी और उसका कर्नाटक में पूर्ण रूप से प्रवेश की कोई योजना नहीं है। उनके अनुसार, अमूल वर्ष 2015-16 से उत्तरी कर्नाटक के दो जिलों में ताजा दूध बेच रही है, लेकिन ‘कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है’ क्योंकि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (केएमएफ) का नंदिनी दूध अमूल की तुलना में बहुत सस्ता है, क्योंकि उसे राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि अमूल का दूध 54 रुपये प्रति लीटर है जबकि नंदिनी का दूध 39 रुपये प्रति लीटर है, क्योंकि राज्य सरकार किसानों को सब्सिडी देती है।
5 अप्रैल को अमूल द्वारा बेंगलूरु में दूध और दही की आपूर्ति करने की घोषणा के बाद से एक राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी दलों – कांग्रेस और जनता दल (एस) ने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा पर अपना निशाना साधा है, जबकि विधानसभा चुनाव सिर्फ एक महीने दूर हैं।
विपक्षी दलों ने आशंका व्यक्त की है कि 21,000 करोड़ रुपये के नंदिनी ब्रांड का अमूल के साथ विलय किया जा सकता है। मेहता ने कहा, ‘विलय का कोई सवाल ही नहीं है। दोनों सहकारी समितियां हैं। अमूल का स्वामित्व गुजरात के किसानों के पास है और नंदिनी का स्वामित्व कर्नाटक के किसानों के पास है। हम दोनों भारत के सहकारी डेयरी उद्योग के निर्माण के लिए दशकों से साथ काम कर रहे हैं।