एमेजॉन को प्रायोन बिज़नेस सर्विसेज प्राइवेट लिटिमेड का अधिग्रहण करने में नियामकीय अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। कानूनी विशेषज्ञों का यह कहना है। प्रायोन इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति के कैटामारन वेंचर्स और अमेरिका की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन का संयुक्त उद्यम है।
एमेजॉन के प्लेटफॉर्म की सबसे बड़ी खुदरा विक्रेताओं में से एक क्लाउडटेल पर प्रायोन का स्वामित्व है। कंपनी ने बुधवार को एक बयान में कहा कि एमेजॉन प्रायोन का अधिग्रहण करेगी, जो नियामकीय मंजूरियों पर निर्भर करेगा।
दोनों साझेदारों ने 9 अगस्त 2021 को घोषणा की थी कि वे मई 2022 के बाद अपने संयुक्त उद्यम को जारी नहीं रखेंगे। एमेजॉन ने कहा है कि वह लागू नियमों का पालन करते हुए प्रायोन में कैटामारन की सभी परिसंपत्तियों एवं देनदारी समेत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। संयुक्त उद्यम का कारोबार मौजूदा प्रबंधन के नेतृत्व में जारी रहेगा। नियामकीय मंजूरी मिलने पर प्रायोन और क्लाउडटेल का बोर्ड लागू कानूनों का पालन करते हुए सौदे को पूरा करने के कदम उठाएंगे।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘एफडीआई नीति बहुत स्पष्ट है। एमेजॉन अपनी सहायक क्लाउडटेल के जरिये अपने प्लेटफॉर्म पर नहीं बेच सकती। वे प्रस्तावित अधिग्रहण के बाद इसे लेकर क्या करेंगे, यह उनकी सिरदर्दी है।’
उद्योग के सूत्रों ने कहा कि एमेजॉन पहले ही प्रायोन में कैटामारन की हिस्सेदारी खरीदने की मंजूरी हासिल करने के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से संपर्क साध चुकी है। देश में करीब 7 करोड़ कारोबारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय कारोबारी परिसंघ (कैट) ने कहा कि अगर सीसीआई एमेजॉन को मंजूरी देता है तो यह एफडीआई नियमों का घोर उल्लंघन होगा क्योंकि इससे एमेजॉन का अपने मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म के विक्रेता पर पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा। कैट ने कहा, ‘इससे एमेजॉन मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म की जगह इन्वेंट्री आधारित प्लेटफॉर्म बन जाएगी, जिस पर एफडीआई नीति के तहत कड़ी रोक है।’
सराफ ऐंड पार्टनर्स, लॉ ऑफिसेज में साझेदार विवेक पारीक ने कहा, ‘एमेजॉन प्लेटफॉर्म पर क्लाउडटेल के एक विक्रेता बने रहने पर ही दोबारा विचार करने की जरूरत है।’ उन्होंने कहा, ‘यह सौदा सीसीआई की मंजूरी पर निर्भर करेगा और हाल में एमेजॉन और सीसीआई के बीच तकरार के बीच यह मामला दिलचस्प होगा।’
असल में इस महीने एक अन्य मामले में सीसीआई ने एमेजॉन के फ्यूचर रिटेल के साथ 2019 के सौदे को स्थगित कर दिया। नियामक ने एमेजॉन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसे आदेश जारी होने के 60 दिनों के भीतर चुकाना होगा।