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कोयला खरीद से सभी प्रतिबंध हटे, जरूरत के मुताबिक प्लांट को की जाएगी सप्लाई; Coal India ने दो दशक पुराना नियम बदला

CIL के साथ ईंधन आपूर्ति समझौता (एफएसए) करने वाला कोई भी बिजली संयंत्र अब अपनी जरूरत के मुताबिक जितना भी चाहे कोयला खरीद सकता है।

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श्रेया जय   
Last Updated- August 13, 2024 | 11:05 PM IST

राष्ट्रीय खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने अनुबंधित मात्रा से जुड़े सभी प्रतिबंध खत्म करते हुए बिजली उत्पादन इकाइयों के लिए कोयले की आपूर्ति के द्वार खोल दिए हैं। सीआईएल के साथ ईंधन आपूर्ति समझौता (एफएसए) करने वाला कोई भी बिजली संयंत्र अब अपनी जरूरत के मुताबिक जितना भी चाहे कोयला खरीद सकता है।

कंपनी ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ‘स्वतंत्र बिजली संयंत्रों (आईपीपी) या निजी मालिकाना वाली इकाइयों सहित देश के सभी ताप बिजली संयंत्रों के लिए सीआईएल ने एसीक्यू से परे कोयले की आपूर्ति की राह खोल दी है। यह उन बिजली उत्पादन संयंत्रों पर लागू होगा, जिन्होंने प्रावधानों के तहत आपूर्ति समझौते किए हैं।’

इसने कहा है कि जून के अंतिम सप्ताह में सीआईएल के बोर्ड ने सालाना अनुबंधित मात्रा (एसीक्यू) से परे आपूर्ति के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। इसमें कहा गया है, ‘इस प्रावधान से कारोबार में सुगमता होगी, सरलता आएगी और काम के दोहराव को रोका जा सकेगा।’

कोल इंडिया के एक अधिकारी ने कहा कि कोयले की आपूर्ति उसी मूल्य पर की जाएगी, जिस मूल्य पर बिजली संयंत्र ने आपूर्ति समझौता किया है। इसके साथ ही सीआईएल ने पहले के उन प्रावधानों को हटा दिया है, जिसके तहत बिजली संयंत्रों और आईआईपी को एसीक्यू से अधिकतम 120 फीसदी आपूर्ति की अनुमति थी।

साल 2007 में पेश की गई नई कोयला विकास नीति में पहली बार एसीक्यू की अवधारणा लाई गई थी। इसके तहत कोल इंडिया बिजली संयंत्रों की कुल जरूरत की एक निश्चित सीमा तक ही कोयले की आपूर्ति करती थी। उस समय यह 80 से 90 फीसदी तक था। 2022-23 के अंत में इसे बढ़ाकर संयंत्र की जरूरत का 100 फीसदी कर दिया गया और साल 2023-24 में कोल इंडिया के पास कोयले की अतिरिक्त उपलब्धता के कारण इसे बढ़ाकर 120 फीसदी कर दिया गया।

कंपनी ने कहा, ‘अब सरलीकरण किए जाने से उन बिजली संयंत्रों को लाभ होगा, जो एसीक्यू से इतर ज्यादा मात्रा में कोयला खरीदना चाहते हैं। कोल इंडिया के इस बदलाव से ऐसे समय में उसकी आपूर्ति को बढ़ावा मिलेगा, जब कोयले की मांग में नरमी के संकेत मिल रहे हैं।’बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में पिछले महीने कोल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक पीएम प्रसाद ने कहा था कि राजस्व बढ़ाने के लिए उत्पादन की मात्रा बढ़ाना कंपनी का एक साधन है।

प्रसाद ने कहा था, ‘कोयले की बिक्री की मात्रा बढ़ने से हमारा राजस्व बढ़ेगा, क्योंकि ज्यादातर लागत तय है और बिक्री में अगर कोई बढ़ोतरी होती है तो इसका अतिरिक्त फायदा मिलेगा।’ कोल इंडिया के पास इस समय 7.2 करोड़ टन कोयले का भंडार है, जो 12 अगस्त, 2023 के 4.9 करोड़ टन की तुलना में 47 फीसदी ज्यादा है। बिजली संयंत्रों के पास कोयले के भंडार का राष्ट्रीय औसत 14 दिन का है, जो मॉनसून के महीनों में पिछले कुछ वर्षों की तुलना में रिकॉर्ड उच्च स्तर है।

First Published : August 13, 2024 | 10:58 PM IST