उच्चस्तर पर उद्योग जगत का लाभ

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 11:48 PM IST

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के तौर पर सूचीबद्घ कंपनियों का शुद्घ लाभ एक दशक की ऊंचाई पर पहुंच गया और अगले दो वित्त वर्षों में इसमें और ज्यादा तेजी आने की संभावना है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज द्वारा कराए गए विश्लेषण के अनुसार, भारतीय उद्योग जगत का शुद्घ लाभ सितंबर 2021 में समाप्त 12 महीने की अवधि के लिए 8.4 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के 4.8 प्रतिशत पर दर्ज किया गया। यह वित्त वर्ष 2012 के बाद से सर्वाधिक है और तब शुद्घ लाभ-जीडीपी अनुपात 4.6 प्रतिशत था।
दिलचस्प तथ्य यह है कि वित्त वर्ष 2020 से इस अनुपात में बड़ा सुधार आया है। वित्त वर्ष 2020 में भारतीय उद्योग जगत के मुनाफे का योगदान जीडीपी में घटकर 1.6 प्रतिशत रह गया था, जो 1999-20 के बाद से सबसे कम था।
वित्त वर्ष 2020 में, भारतीय उद्योग जगत का नुकसान 3.54 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज किया गया था। यह वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल जैसी दूरसंचार कंपनियों और वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों येस बैंक, डीएचएफएल तथा आईडीबीआई बैंक और वाहन दिग्गज टाटा मोटर्स द्वारा दर्ज किए गए नुकसान की वजह से भी था।
जहां नुकसान पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। सूचीबद्घ कंपनियों का नुकसान सितंबर 2021 (उन कंपनियों के लिए जून 2021 तक, जिन्होंने अपने तिमाही नतीजे घोषित नहीं किए हैं) के अंत तक पिछले 12 महीने के आधार पर आधा घटकर 1.63 लाख करोड़
रुपये रह गया।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के विश्लेषकों सिद्घार्थ गुप्ता और विनोद कार्की द्वारा मिलकर कराए गए अध्ययन में कहा गया है, ‘तेज सुधार के लिए दो मुख्य कारक रहे हैं। जिंस चक्र में बड़ा बदलाव और दूरसंचार कंपनियों तथा बैंकों में नुकसान की तीव्रता कमजोर पडऩा। इसके अलावा नई सूचीबद्घता जैसे थीम भी लोकप्रिय हैं।’
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का मानना है कि मुनाफा भागीदारी वित्त वर्ष 2022 में सुधरकर 4.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2023 में 4.3 प्रतिशत हो जाएगी। यह चालू और अगले वित्त वर्ष के लिए 54 प्रतिशत तथा 22 प्रतिशत के मजबूत शुद्घ लाभ अनुमानों पर आधारित है।
गुप्ता ने कहा, ‘भविष्य में, आप मुनाफे में चक्रीयता का योगदान बढऩे की उम्मीद कर सकते हैं। यदि भविय में निवेश चक्र मजबूत हुआ तो पूंजी-केंद्रित क्षेत्रों की लोकप्रियता बढ़ेगी।’
यदि वृद्घि के अनुमान सही साबित हुए हो भारतीय उद्योग जगत का लाभ-जीडीपी अनुपात करीब 4.7 प्रतिशत के वैश्विक औसत के नजदीक पहुंच जाएगा। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत का यह अनुपात दुनिया में सबसे कम था।
वित्त वर्ष 2008 में अपने शीर्ष स्तर के साथ, यह योगदान 7.8 प्रतिशत पर दर्ज किया गया था। तब से इसमें गिरावट का रुझान बना रहा। पिछले पांच साल में कॉरपोरेट आय वृद्घि में काफी हद तक ठहराव बना हुआ है।

First Published : November 2, 2021 | 11:11 PM IST