अदाणी समूह की अंबुजा सीमेंट्स ने आज कहा कि वह सितंबर में प्रवर्तक बदलने के बाद अपने पहले अधिग्रहण के तहत 5,000 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्य पर छोटी प्रतिस्पर्धी सांघी इंडस्ट्रीज का अधिग्रहण करेगी। विश्लेषकों ने इसे समुद्री-लॉजिस्टिक्स पर दांव बताया है।
यह अधिग्रहण अगले तीन से चार महीने में पूरा होने की उम्मीद है। इसमें रवि सांघी और परिवार वाली सांघी इंडस्ट्रीज के प्रवर्तक समूह से 56.74 प्रतिशत हिस्सेदारी की खरीद और सार्वजनिक शेयरधारकों से 26 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए खुली पेशकश शामिल है।
विश्लेषकों के अनुसार इस परिसंपत्ति के लिए उन कई अन्य दावेदारों के साथ, जो अदाणी के पक्ष में काम कर सकते थे, समूह स्तर पर बंदरगाह से संबंधित तालमेल शामिल है। एंबिट कैपिटल के विश्लेषकों ने गुरुवार को इस सौदे की घोषणा से पहले तैयारी की गई रिपोर्ट में कहा है कि हमारे चैनल की जांच से पता चलता है कि कुछ अन्य बोलीदाताओं ने परिसंपत्तियों के लिए मांगी गई कीमत से इनकार कर दिया है, विशेष रूप से निजी इस्तेमाल वाले बंदरगाह की उथली गहराई (4.5 मीटर का ढांचा) के मद्देनजर ऐसा किया गया है। यह केवल अपेक्षाकृत छोटे जहाजों को अनुमति प्रदान करता है।
अंबुजा सीमेंट्स ने कहा है कि वह अगले दो वर्षों में सांघी की क्षमता को 1.5 करोड़ टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने के लिए निवेश करेगी और 8,000 डीडब्ल्यूटी (डेडवेट टन भार) के बड़े जहाजों को संभालने के लिए सांघी के निजी इस्तेमाल वाले बंदरगाह की क्षमता का विस्तार करने में निवेश करेगी।
एक सीमेंट विश्लेषक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि समूह के तालमेल को देखते हुए यह अंबुजा के लिए एक अच्छा सौदा है। कोई अन्य सीमेंट कंपनी ढांचे से संबंधित लॉजिस्टिक्स मसले से निपटने में सक्षम नहीं होती।
मुंबई और अन्य बाजारों तक पहुंच के नजरिये से बंदरगाह का बुनियादी ढांचा महत्वपूर्ण है। सीमेंट विश्लेषक ने कहा कि वर्तमान में सूरत और मुंबई भारत में सीमेंट के लिए दो सबसे अच्छे बाजार हैं। अंबुजा सीमेंट्स के गैर-कार्यकारी और गैर-स्वतंत्र निदेशक करण अदाणी इसकी क्षमता से अवगत हैं।
उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सांघीपुरम (सांघी की जगह) में देश के सबसे कम लागत वाले क्लिंकर का उत्पादन करना है और फिर क्लिंकर के साथ-साथ थोक सीमेंट को तटीय मार्ग से सौराष्ट्र, दक्षिण गुजरात, मुंबई और मुंबई महानगर क्षेत्र, कर्नाटक और केरल के बाजारों तक पहुंचाना है।