अधिकतर राज्यों में अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और विनिर्माण इकाइयों के साथ अदाणी समूह आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग लेने जा रहा है। कंपनी केवल प्राइवेट नेटवर्क के लिए स्पेक्ट्रम हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करेगी जहां मौजूदा दूरसंचार ऑपरेटरों के बीच तगड़ी प्रतिस्पर्धा दिखने के आसार हैं। उनका मानना है कि उनका 40 फीसदी 5जी कारोबार एंटरप्राइजेज से आएगा।
विश्लेषकों का कहना है कि खुद के लिए प्राइवेट नेटवर्क स्थापित करने के अलावा अदाणी समूह अन्य कंपनियों के लिए एंटरप्राइज समाधान पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। एंटरप्राइज समाधान का बाजार काफी बड़ा होने का अनुमान है।
दूरसंचार नेटवर्क कंपनियों का कहना है कि उनके आकलन के अनुसार, 5जी के साथ प्राइवेट नेटवर्क के लिए देश भर में मिलीमीटर बैंड (24,250 से 27,500 मेगाहर्ट्ज बैंड) के लिए आधार मूल्य के तहत सालाना 140 करोड़ रुपये का भुगतान आकर्षक रहेगा। उनका कहना है कि किसी एक राज्य में सीमित स्थान पर कैप्टिव नेटवर्क के साथ देश भर में परिचालन के लिए अदाणी को 400 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होगी। उन्हें अधिक स्पेक्ट्रम की जरूरत इसलिए नहीं होगी क्योंकि वह केवल एंटरप्राइजेज के लिए सेवाएं उपलब्ध कराएगी न कि मोबाइल ग्राहकों के लिए। यह बैंड एम2एम गतिविधियों, सटीकता के साथ महत्त्पूर्ण कार्यों को निपटाने और उच्च स्वचालन सुनिश्चित करने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। यह सही है कि कैप्टिव नेटवर्क का दायरा सीमित होगा लेकिन वह जीवंत प्राइवेट नेटवर्क के संचालन के लिए पर्याप्त होगा।
इस बैंड में देश भर में स्पेक्ट्रम के लिए न्यूनतम आधार मूल्य 50 मेगाहर्ट्ज (न्यूनतम खरीद आवश्यकता) के लिए 350 करोड़ रुपये है। इस प्रकार 400 मेगाहर्ट्ज के लिए कीमत 2,800 करोड़ रुपये होती है यानी 20 वर्षों तक सालाना 140 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। जाहिर तौर पर अदाणी देश भर के लिए अथवा उन सर्किल के लिए स्पेक्ट्रम हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करेगी जहां उनका कारोबार है। इनमें गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, राजस्थान आदि शामिल हैं।
अदाणी अपेक्षाकृत अधिक महंगे 3.5 गीगाहर्ट्ज बैंड (देश भर में स्पेक्ट्रम के लिए 317 करोड़ रपये प्रति मेगाहर्ट्ज) में भी करीब 10 मेगाहर्ट्ज (न्यूनतम खरीद सीमा) स्पेक्ट्रम खरीद सकती है। इससे विशेष तौर पर बंदरगाह एवं हवाई अड्डा सहित उन परियोजनाओं में मदद मिलेगी जहां व्यापक कवरेज की आवश्यकता होती है। उसका बिल भी 3,170 करोड़ रुपये अथवा सालाना 159 करोड़ रुपये पर अधिक नहीं होगा। जाहिर तौर पर अदाणी अपने कुछ स्पेक्ट्रम के पट्टे के लिए दूरसंचार कंपनियों से करार कर सकती है।
प्रतिस्पर्धी दूरसंचार ऑपरेटरों का कहना है कि अदाणी की इस पहल के पीछे लंबी अवधि में उपभोक्ता मोबाइल क्षेत्र में प्रवेश करने की रणनीति छिपी है। इसके लिए वह किसी दूरसंचार कंपनी में रणनीतिक हिस्सेदारी खरीद सकती है अथवा किसी दूरसंचार कंपनी का अधिग्रहण कर सकती है। एक मोबाइल कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने सवाल उठाया कि सरकार जब वोडाफोन आइडिया में हिस्सेदारी बेचना चाहेगी तो क्या होगा। सरकार यदि बीएसएनएल का निजीकरण करने का निर्णय लेती है तो क्या अदाणी उसमें भाग नहीं लेगी। हालांकि अदाणी ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि उपभोक्ता मोबाइल क्षेत्र में प्रवेश करने की उसकी कोई मंशा नहीं है।
दूरसंचार ऑपरेटरों का कहना है कि प्राइवेट नेटवर्क स्थापित करने का उद्देश्य सस्ती सेवाएं उपलब्ध कराना है। कैबिनेट ने कंपनियों के लिए कैप्टिव प्राइवेट नेटवर्क स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है और सरकार उन्हें नीलामी के बजाय सीधे तौर पर स्पेक्ट्रम आवंटित करेगी जो कहीं अधिक सस्ता होगा। उन्होंने टाटा कम्युनिकेशंस का उदाहरण दिया जिसने नीलामी में भाग न लेने का निर्णय लिया है लेकिन कैप्टिव प्राइवेट नेटवर्क स्थापित करने के लिए सरकार से सीधे स्पेट्रम मिलने के इंतजार में है।