अधिग्रहण किए मगर कर्ज भी बढ़ा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:52 AM IST

देश की शीर्ष तीन निजी बिजली उत्पादकों- टाटा पावर, अदाणी पावर और जेएसडब्ल्यू एनर्जी- ने पिछले छह वर्षों के दौरान कुल मिलाकर 4.4 अरब डॉलर से अधिक की परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया है। हालांकि इन तीन कंपनियों में से दो के लिए कर्ज चिंता का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। इन कंपनियां अधिग्रहण के मोर्चे पर काफी सफल रही हैं।
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘वे तकनीकी रूप से केवल तीन खरीदार थे जिनके पास बिजली क्षेत्र में बिकने वाली परिसंपत्तियों को खरीदने की क्षमता थी।’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान बिकने वाली परिसंपत्तियों की कीमत नया संयंत्र स्थापित करने की लागत के मुकाबले लगभग आधी थी।
जिन परिसंपत्तियों का अधिग्रहण किया गया उनमें बड़ी परिसंपत्तियों इस प्रकार हैं- अदाणी पावर द्वारा लैंको इन्फ्राटेक के उडुपी बिजली संयंत्र का 1 अरब डॉलर में अधिग्रहण, जेएसडब्ल्यू एनर्जी द्वारा 1.56 अरब डॉलर के सौदे के तहत जयप्रकाश पावर वेंचर्स की दो पनबिजली परिसंपत्तियों का अधिग्रहण और टाटा पावर द्वारा 1.3 अरब डॉलर के सौदे के तहत वेलस्पन इंडिया की वॉल्वन रीन्यूएबल एनर्जी का अधिग्रहण।
वार्षिक रिपोर्टों के अनुसार, तीनों अधिग्रहीत परिसंपत्तियों ने वित्त वर्ष 2019-20 में लाभ दर्ज किया।
हालांकि अधिग्रहण की होड़ ने इन कंपनियों के ऋण बोझ में भी इजाफा किया जबकि वे पहले से ही काफी ऋण बोझ तले दबी थीं। वित्त वर्ष 2014 में टाटा पावर का कुल ऋण बोझ 40,150 करोड़ रुपये था जबकि वित्त वर्ष 2020 के लिए यह आंकड़ा बढ़कर 48,376 करोड़ रुपये हो गया। इसी प्रकार, अदाणी पावर का ऋण बोझ 44,150 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2020 में 55,123 करोड़ रुपये हो गया। जेएसडब्ल्यू एनर्जी का प्रदर्शन बेहतर रहा और उसका ऋण बोझ वित्त वर्ष 2014 में 10,106 करोड़ रुपये था जो घटकर वित्त वर्ष 2020 में 9,840 करोड़ रुपये रह गया। हालांकि कंपनी का ऋण बोझ वित्त वर्ष 2016 में बढ़कर 14,862 करोड़ रुपये हो गया था लेकिन बाद के वर्षों में उसमें उल्लेखनीय कमी आई।
बिजली क्षेत्र के एक विश्लेषक ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘मैं इन कंपनियों के ऋण बोझ में वृद्धि अथवा ऋण की समस्या के लिए अधिग्रहण की होड़ को जिम्मेदार नहीं ठहराऊंगा। ये ऐसी कंपनियां हैं जिनकी प्रकृति ही अधिक ऋण बोझ वाली है।’
वर्ष 2019 में टाटा पावर ने अपने संयुक्त उद्यम रीसर्जेंट पावर वेंचर्स के जरिये प्रयागराज पावर जेनरेशन में बहुलांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था। उसी साल अदाणी पावर ने भी कोयला आधारित कोरबा वेस्ट और जीएमआर छत्तीसगढ़ एनर्जी का अधिग्रहण किया। हालांकि इन उपक्रमों की वित्तीय स्थिति में सुधार के बारे में टिप्पणी करना फिलहाल जल्दबाजी होगी लेकिन विश्लेषकों ने अंतत: बदलाव होने की उम्मीद जताई है।
अल्वारेज ऐंड मार्सल इंडिया के प्रबंध निदेशक वेंकटरमण रंगनाथन ने कहा, ‘जो भी अधिग्रहण हुए हैं उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। इनमें से अधिकतर परियोजनाओं के लिए पूंजी ढांचा, अत्यधिक ऋण बोझ और परियोजना लागत की समस्या रही है। बिक्री के कारण नए सिरे से मूल्य निर्धारण और स्वामित्व में बदलाव हुआ जिससे ऋण पुनर्गठन के अवसर भी खुले हैं। इससे इन परिसंपत्तियों को वित्तीय रूप से व्यवहार्य बनाने में मदद मिली है।’

First Published : September 16, 2020 | 12:37 AM IST