विमान के इंजीनियरिंग प्रमुख एससी गुप्ता ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय (एमओसीए) को बताया कि इंडिगो के विमान रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) खर्च का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा विदेशी कंपनियों को आउटसोर्स किया जाता है, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए केवल 10 प्रतिशत कारोबार बचता है। विमानन कंपनी के इंजीनियरिंग प्रमुख एससी गुप्ता ने कुछ सप्ताह पहले नागरिक विमानन मंत्रालय को यह जानकारी दी थी।
गुप्ता ने मंत्रालय को बताया कि ऐसा मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि भारत में ऐसी एमआरओ क्षमता नहीं है, जो नैकेल्स, इंजन, सहायक बिजली इकाइयों (एपीयू) और लैंडिंग गियर का रखरखाव करने में सक्षम हो। भारतीय विमानन कंपनियां अपने कुल राजस्व का लगभग 12 से 15 प्रतिशत एमआरओ सेवाओं के लिए आवंटित करती हैं, जो इसे ईंधन लागत के बाद दूसरी सबसे बड़ी व्यय मद के रूप में रखता है।
ईंधन उनके कुल राजस्व का लगभग 45 प्रतिशत होता है। मंत्रालय के अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इंडिगो ने प्रस्ताव दिया है कि भारतीय एमआरओ को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एमआरओ के अनुरूप नैकेल रखरखाव, इंजन रखरखाव और पुर्जों की सहायता जैसी अतिरिक्त क्षमताएं विकसित करनी चाहिए।