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Trump Tariff: भारत के सबसे बड़े कच्चे तेल आपूर्तिकर्ता पर दबाव संभव

केप्लर के शिप ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक भारत ने जून में रोजाना 21 लाख बैरल रूसी कच्चा तेल खरीदा है, जो उसके कच्चे तेल के कुल आयात का करीब 45 प्रतिशत है।

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एस दिनकर   
Last Updated- July 30, 2025 | 10:45 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा भारत द्वारा रूस के कच्चे तेल और हथियारों की खरीद पर जुर्माना लगाने तथा भारतीय निर्यात पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा से भारत के रूसी तेल आयात में गिरावट की शुरुआत हो सकती है।  उद्योग से जुड़े सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा कि ट्रंप अगर अपनी धमकी पर अमल करते हैं तो रूस से कच्चे तेल का आयात घट सकता है।

केप्लर के शिप ट्रैकिंग डेटा के मुताबिक भारत ने जून में रोजाना 21 लाख बैरल रूसी कच्चा तेल खरीदा है, जो उसके कच्चे तेल के कुल आयात का करीब 45 प्रतिशत है। बिज़नेस स्टैंडर्ड की गणना के मुताबिक रूस से जून में तेल आयात का कुल मूल्य करीब 4.3 अरब डॉलर था।  

निजी क्षेत्र की जिन रिफाइनरियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है, उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज और नयारा एनर्जी शामिल हैं। केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक  इन दोनों ने जून में कुल मिलाकर रूस के कच्चे तेल का 47 प्रतिशत आयात किया है।

अमेरिका की मूडीज की सहयोगी कंपनी इक्रा के सीनियर वाइस  प्रेसीडेंट और को-ग्रुप हेड (कॉरपोरेट रेटिंग) प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ‘अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूसी तेल की आपूर्ति में कटौती की जाती है तो तेल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। वैश्विक तेल के उपभोग में रूस के तेल की हिस्सेदारी करीब 7 प्रतिशत है। ’ वशिष्ठ ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को ई-मेल पर बताया कि अगर कच्चे तेल की कीमत में 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी होती है तो आयात बिल 13 से 14 अरब डॉलर बढ़ जाएगा।  इससे तेल विपणन कंपनियों की एलपीजी, पेट्रोल और डीजल पर रिकवरी कम हो सकती है। मुंबई की एक ब्रोकरेज के मुताबिक अभी भारत की सरकारी तेल कंपनियों का मार्जिन अभी 5 रुपये प्रति लीटर है।

First Published : July 30, 2025 | 10:32 PM IST