अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार (2 अप्रैल) को जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की लेकिन उन्होंने गोल्ड को इससे दूर रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ऐलान के साथ ही नियर मंथ यूएस गोल्ड फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट और बेंचमार्क LBMA स्पॉट गोल्ड के बीच स्प्रेड यानी EFP (Exchange-for-Physical) गुरुवार को घटकर 16 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। ठीक एक दिन पहले बुधवार को 62 डॉलर प्रति औंस से ज्यादा का स्प्रेड दर्ज किया गया था।
अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद मार्केट में इस बात की संभावना बढ़ गई थी कि शायद गोल्ड इंपोर्ट पर भी ट्रंप प्रशासन कहीं जवाबी (reciprocal) टैरिफ न लगा दे। इसी वजह से पिछले 4 महीने से यूएस गोल्ड फ्यूचर्स पर बेंचमार्क LBMA स्पॉट गोल्ड के मुकाबले बहुत ज्यादा या कहें असामान्य प्रीमियम देखने को मिल रहा था। इससे पहले इस तरह का प्रीमियम नहीं देखने को मिलता था। इस असामान्य प्रीमियम का फायदा उठाने के लिए बैंक और ट्रेडर्स जहाज भर-भर कर सोना अमेरिका शिफ्ट कर रहे थे।
इंटरनेशनल गोल्ड (USD/ounce)
तारीख | गोल्ड | पिछला क्लोजिंग | ओपनिंग | इंट्राडे हाई | इंट्राडे लो | लास्ट ट्रेडिंग प्राइस | बदलाव |
3 अप्रैल 2025 | गोल्ड जून कॉन्ट्रैक्ट (COMEX) | 3,166.20 | 3,196.60 | 3,196.60 | 3,106 | 3,112.50 | -53.70 (-1.70%) |
3 अप्रैल 2025 | स्पॉट (spot) गोल्ड | 3,133.57 | 3,133.57 | 3,167.57 | 3,088.14 | 3,095.91 | -37.66 (-1.20%) |
Source: Bloomberg (5:45 PM IST)
अमेरिका में सोने का भंडार पहुंचा रिकॉर्ड हाई पर
आंकड़े भी इस बात की तस्दीक करते हैं। कॉमेक्स (COMEX) से मिले ताजा आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में फिलहाल सोने का भंडार बढ़कर 43.3 मिलियन औंस यानी 1,228 टन (135 बिलियन डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह अमेरिका में 5 साल की खपत के लिए पर्याप्त है। नवंबर के अंत से इसमें 26.2 मिलियन औंस (743 टन) का इजाफा हुआ है। दूसरी और लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) के खजाने में सोना घटकर 5 साल के निचले स्तर 8,477 टन (772.5 बिलियन डॉलर) पर चला गया है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्लोबल लेवल पर अमेरिकी उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ का मुकाबला करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बुधवार (2 अप्रैल) को करीब 60 देशों पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की। अमेरिका ने 3 अप्रैल से इंपोर्टेड गाड़ियों और उनके पार्ट्स पर भी 25 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाने का फैसला किया है।
कॉमेक्स पर सोना पहुंचा 3200 डॉलर के पार
ट्रंप के इस ऐलान के बाद सोना गुरुवार (3 अप्रैल) को फिर से नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। हालांकि मुनाफावसूली की वजह से फिलहाल कीमतों में नरमी आई है। इससे पहले मंगलवार को लगातार चौथे कारोबारी दिन सोने ने रिकॉर्ड हाई बनाया था। मौजूदा कैलेंडर ईयर के दौरान आज सोना 21वें दिन और इस महीने दूसरे दिन नई ऊंचाई पर पहुंचा।
यूएस गोल्ड फ्यचर्स ने तो डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी शुल्क की घोषणा के ठीक बाद बुधवार को ही 3201.6 डॉलर प्रति औंस का नया रिकॉर्ड हाई बना दिया। वहीं ग्लोबल लेवल पर बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड आज 3,167.57 डॉलर प्रति औंस के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
घरेलू मार्केट में एमसीएक्स (MCX) पर गुरुवार को कारोबार के दौरान सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट रिकॉर्ड 91,423 रुपये तक चढ़ा। घरेलू स्पॉट मार्केट में भी सोना 24 कैरेट (999) पीछे नहीं रहा और 209 रुपये मजबूत होकर 91,205 रुपये के नए ऑल टाइम हाई पर देखा गया। अक्टूबर 2023 के बाद यानी पिछले डेढ़ साल मे एमसीएक्स पर सोना 62 फीसदी चमका है। MCX पर सोने का बेंचमार्क कॉन्ट्रैक्ट 5 अक्टूबर 2023 को 56,522 रुपये प्रति 10 ग्राम के निचले स्तर तक चला गया था।
घरेलू और ग्लोबल दोनों मार्केट में सोना इस साल अब तक 20 फीसदी चढ़ा है।
क्यों उफान पर है सोना ?
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी ड्यूटी की घोषणा के बाद ग्लोबल इकॉनमी में बनी अनिश्चितता की वजह से बतौर सुरक्षित विकल्प सोने की मांग में तेजी आई है। टैरिफ को लेकर के ट्रंप इस ऐलान के बाद अमेरिका में मंदी की आशंका गहरा गई है और आने वाले समय में अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बढ सकता है। लेकिन इस टैरिफ वॉर ने दूसरी ओर महंगाई के मोर्चे पर भी यूएस फेड के सामने चुनौती खड़ी कर दी है।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना, अमेरिका सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन और महंगाई के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर ज्यादातर जानकार सोने को लेकर फिलहाल बेहद बुलिश हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल लेवल पर ट्रेड वॉर छिड़ने की आशंका के मद्देनजर जो अनिश्चितता की स्थिति बनी है उसमें बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) सोने की मांग बरकरार रह सकती है। साथ ही बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी बतौर सुरक्षित विकल्प सोने की मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इतना ही नहीं महंगाई के खिलाफ ‘हेज’ के तौर पर सोने की पूछ परख भी बढ़ रही है।
जानकार मानते हैं कि इन्वेस्टमेंट डिमांड गोल्ड के लिए इस साल सबसे ज्यादा सपोर्टिव साबित हो सकता है क्योंकि इसका सपोर्ट पिछले मई से ही मिलना शुरू हुआ है। मौजूदा तेजी से पहले जब भी गोल्ड में तेजी का दौर चला है, सबसे बड़ी भूमिका इन्वेस्टमेंट यानी ईटीएफ डिमांड ने ही निभाई है। फिर चाहे वह 2020 या 2012 की तेजी की बात कर लें।
सोने में रिकॉर्डतोड़ तेजी के बीच लोग फिलहाल इसके ईटीएफ में जमकर निवेश कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 8 हफ्ते से गोल्ड ईटीएफ में लगातार इनफ्लो बना हुआ है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) के मुताबिक 21 मार्च को खत्म हुए हफ्ते के दौरान ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में 3.1 बिलियन डॉलर (+31.3 टन) का नेट इनफ्लो आया। पिछले यानी 14 मार्च को खत्म हुए हफ्ते के दौरान भी 3.1 बिलियन डॉलर (+32.7 टन) का इनफ्लो आया था।
सोने की कीमतों में तेजी और इनफ्लो के दम पर 21 मार्च तक गोल्ड ईटीएफ का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM बढ़कर रिकॉर्ड 332.4 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। टोटल होल्डिंग भी इस दौरान 3,425.9 टन पर दर्ज किया गया जो 23 जून 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। टोटल होल्डिंग 23 जून 2023 को खत्म हुए हफ्ते के दौरान 3,435.1 टन था।
इसके अलावा सेंट्रल बैंकों की खरीदारी भी कीमतों के लिए सपोर्टिव हैं। 2022 से इसने सोने को लगातार सबसे ज्यादा सपोर्ट किया है। बदलते जियो पॉलिटिकल परिदृश्य के मद्देनजर इसके आगे भी मजबूत रहने की संभावना है। सबसे ज्यादा खरीदारी चीन के केंद्रीय बैंक की तरफ से निकलने की उम्मीद है। पिछले कुछ आंकड़ों से भी इस बात के संकेत मिलने लगे हैं। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) के मुताबिक उसकी तरफ से फरवरी में 5 टन सोने की खरीद की गई। छह महीने के ब्रेक के बाद पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने लगातार चौथे महीने गोल्ड खरीदा है। फरवरी के अंत तक चीन का गोल्ड रिजर्व बढ़कर 2,290 टन पर पहुंच गया जो उसके कुल फॉरेक्स रिजर्व का 5.9 फीसदी है।
यदि ट्रंप की नीतियों की वजह से चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर टकराहट और बढ़ती है तो शायद चीन का केंद्रीय बैंक सोने की खरीद में और तेजी लाए। इस बात की गुंजाइश इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि चीन के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी अभी भी 6 फीसदी के नीचे है। जबकि भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 11 फीसदी के ऊपर पहुंच गई है। जानकार मानते हैं के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य (geo-political scenario) के मद्देनजर चीन गोल्ड की हिस्सेदारी को कम से कम 10 फीसदी तक बढ़ाना चाहेगा।