जनवरी-मई 2008 के दौरान भारत में चाय की नीलामी कीमत में 6.28 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 69.14 रुपये प्रति किलोग्राम की तेजी दर्ज की गई है।
भारतीय चाय उद्योग की स्थिति पर जारी इंडियन टी असोसिएशन (आईटीए) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। उत्तर भारत के चाय की कीमत की बात करें तो इसमें 77.60 रुपये प्रति किलो की तेजी दर्ज की गई है जो पिछले साल के मुकाबले 10.11 रुपये प्रति किलो ज्यादा है।
उत्तर भारत के चाय नीलामी में जलपाईगुड़ी चाय की कीमत औसतन सबसे ज्यादा रही। जलपाईगुड़ी चाय की नीलामी 80.11 रुपये प्रति किलो पर हुई और इसमें 14.60 रुपये प्रति किलो का उछाल देखा गया। चाय की नीलामी कीमतों में उछाल चाय की पर्याप्त उपलब्धता के बावजूद देखी गई। पूरे देश के स्तर पर बात करें तो 151.1 मिलियन किलो चाय उपलब्ध रही, जो उपलब्धता की स्थिति करीब 3 मिलियन किलो ज्यादा है। उत्तर भारत में हालांकि चाय की उपलब्धता में 8 मिलियन किलो की कमी रही।
चाय की नीलामी कीमत में बढ़ोतरी होने के बाद भी यह 1998 के स्तर को नहीं छू पाया। गौरतलब है कि 1998 में यह 84.44 रुपये प्रति किलो के स्तर पर थी। आईटीए के चेयरमैन आदित्य खेतान ने कहा – चाय उद्योग अपना वजूद बचाए रखने की खातिर कीमत केमामले में नई ऊंचाई की ओर बढ़ सकता है और कीमत बढ़ोतरी से यह अपनी लागत वसूल सकता है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 2001-02 के बाद से चाय उद्योग की लागत में 21.45 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हो चुकी है क्योंकि मजदूरी, सुरक्षा, बिजली, ईंधन और दूसरी चीजों की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है।
उन्होंने कहा कि 2005 के बाद से कीमतों में थोड़ी बहुत बढ़ोतरी हुई है। खेतान ने कहा कि अगर हम महंगाई की दर पर नजर डालें तो चाय की कीमत कम से कम 100 रुपये प्रति किलो होनी चाहिए, इसलिए हमें अभी लंबा सफर तय करना है। हालांकि चाय उद्योग के लिए अच्छी बात ये है कि मांग-आपूर्ति के बीच का फासला बढ़ रहा है और इससे कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है। खेतान ने कहा कि इस सीजन में चाय की फसल थोड़ी नरम थी। नए सीजन में अप्रैल का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले थोड़ा ऊंचा था। मार्च और मई में उत्पादन में गिरावट देखी गई, खास तौर से उत्तर भारत के मामले में।
आंकड़ों के मुताबिक जनवरी-मई के दौरान उत्तर भारत में चाय के उत्पादन में 2.2 मिलियन किलो का इजाफा हुआ और यह 142.9 मिलियन किलोग्राम के स्तर पर था जबकि दक्षिण भारत में 97.4 मिलियन किलो का इजाफा हुआ। भारतीय चाय उद्योग को केन्या के खराब फसल का भी फायदा मिला है और इस वजह से इसके निर्यात में उछाल दर्ज किया गया है। इस साल के पहले पांच महीने में कुल 21.5 मिलियन किलो चाय का निर्यात हुआ, हालांकि इसमें 3.4 मिलियन किलो की ही बढ़ोतरी दर्ज की गई। उम्मीद है कि अगली छमाही में चाय निर्यात में और उछाल दर्ज किया जाएगा।