कपास उत्पादन की बढ़ोतरी दर अगले सीजन में तेजी से गिरने की उम्मीद है।
नैशनल कमोडिटी एंड डैरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हो रहे सीजन 2008-09 के दौरान देश के कुल कपास उत्पादन में महज 10 लाख बेल्स (बेल्स = 170 किलोग्राम) की वृद्धि होने की उम्मीद है। इस दौरान, कपास का उत्पादन 3.25 करोड़ बेल्स रहने का अंदाजा है।
सीजन 2007-08 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान कपास का उत्पादन 3.15 करोड़ बेल्स रहने का अनुमान है। 2006-07 सीजन में इसका उत्पादन 2.8 करोड़ बेल्स रहा था। इस तरह, मौजूदा सीजन में कपास उत्पादन की वृद्धि दर 12.5 फीसदी के आसपास है। अनुमान जताया जा रहा है कि अगले सीजन में कपास यह वृद्धि दर बरकरार नहीं रह पाएगा।
सीजन 2008-09 के दौरान कपास उत्पादन की बढ़त दर महज 3.17 फीसदी रहने की उम्मीद है। इसकी मुख्य वजह कपास के रकबे में होने वाली कमी को बताया जा रहा है। पिछले साल जुलाई तक जहां देश के 69.7 लाख हेक्टेयर में कपास बोया जा चुका था, वहीं इस साल जुलाई तक केवल 60.2 लाख हेक्टेयर में कपास बोया जा सका है।
दुनिया के सबसे बड़े कपास उत्पादक देश अमेरिका में भी 2007-08 सीजन में कपास का रकबा 20 फीसदी घट चुका है। वैसे अमेरिका के कृषि विभाग ने संभावना जतायी है कि 2008-09 के दौरान कपास का वैश्विक उत्पादन 80 लाख बेल्स घटकर 11.79 करोड़ बेल्स तक पहुंच जाएगा। जबकि इस संस्था ने कपास का अनुमानित वैश्विक उपभोग 12.59 करोड़ टन रहने की बात कही है।
अकेले अमरीका में ही कपास का उत्पादन 10 लाख से 31 लाख बेल्स तक घटने की बात कही जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 1993-94 के बाद कपास उत्पादन में आने वाली यह सबसे बड़ी कमी है। अंतरराष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति की माने तो 2008-09 सीजन में उत्पादकता और रकबा दोनों में कमी के मद्देनजर कपास का कुल वैश्विक उत्पादन 5 फीसदी घटकर 2.49 करोड़ टन रहने का अंदाजा है।
कपास के पिछले साले के बचे भंडार में भी 12 फीसदी कमी की संभावना है। मौजूदा सीजन में इसके 1.07 करोड़ टन रहने की उम्मीद जतायी जा रही है। इन आंकड़ों और अनुमानों को देखते हुए देश में कपास की कीमतों पर दबाव बनता दिख रहा है। पिछले सीजन में जहां कपास की कीमतें 40 फीसदी चढ़ गयी थीं, वहीं इस सीजन में भी अनुमान लगाया जा रहा है कि कपास फिर से नयी ऊंचाइयों को छू लेगा।
घरेलू मोर्चे की बात करें तो जे-34 और शंकर-6 किस्मों का वर्तमान मूल्य 27,400 और 28,300 रुपये प्रति कैंडी (1 कैंडी = 356 किलोग्राम) के आसपास चल रहा है। घरेलू कपड़ा कंपनियों ने कपास की संभावित कीमत को भांपते हुए इसके मुख्य सीजन में ही कपास की खरीदारी की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
इन कंपनियों का कहना है कि कपास की खरीदारी इसके मुख्य सीजन में ही किया जाना उचित होगा। क्योंकि बाद में कपास की कीमतों में जोरदार वृद्धि की गुजाइश दिख रही है। इस संबंध में ये कंपनियां कोई खतरा नहीं उठाना चाहती।