आंदोलन का हथियार बना गन्ना

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 5:08 AM IST

उत्तर प्रदेश में राज्य समर्थित गन्ने की कीमत के विरूद्ध चीनी मिलों की ओर से दायर याचिका भले ही अदालत में लंबित हो, लेकिन राज्य भर में गन्ना किसानों के विरोध का स्वर सुनाई देने लगा है।


यही नहीं, यह विरोध अब उग्र रूप लेने लगा है। मुजफ्फनगर के खतौली में स्थानीय गन्ना खरीद समिति के समक्ष सोमवार को किसानों के धरना-प्रदर्शन के दौरान एक गन्ना किसान की मौत हो गई।

इससे पहले, शनिवार को करीब 200 किसानों ने दिल्ली के अंसल प्लाजा में इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुख्यालय के सामने भी प्रदर्शन किया था।

गन्ना कीमत पर उपजे विवाद के कारण इस साल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ज्यादातर किसानों ने कम कीमत पर गुड़ उत्पादकों को ही अपनी फसल बेचने का निर्णय किया। ऐसा इसलिए भी किया गया, क्योंकि चीनी मिलें गन्ना खरीद से इनकार कर रही थीं, वहीं किसान गेहूं की फसल के लिए अपना खेत खाली करना चाहते थे।

उद्योग जगत के सूत्रों का कहना है कि राज्य में मौजूद 92 निजी चीनी मिलों में से एक-चौथाई में भी अब तक गन्ने की पेराई शुरू नहीं हो पाई है। जबकि किसानों के विरोध के कारण राज्य में कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा बढ़ गया है। उनके मुताबिक, अब चीनी मिलों को गन्ने की पेराई शुरू कर देनी चाहिए।

इस बीच, चीनी मिलें किसानों को गन्ने की आपूर्ति के बदले एक पर्ची दे रही हैं, जिसमें कहा गया है कि कोर्ट में गन्ने की जो कीमत तय की जाएगी, उसी का भुगतान किया जाएगा। हालांकि राज्य के गन्ना आयुक्त ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों से कहा है कि ऐसी पर्ची देने वाली मिलों के खिलाफ सख्ती से पेश आएं।

उल्लेखनीय है कि 18 अक्टूबर को राज्य सरकार ने गन्ने की कीमत 140 रुपये प्रति क्विंटल तय की थी, जिसका चीनी मिल वाले विरोध कर रहे हैं। पिछले साल अदालत की ओर से गन्ने की कीमत 110 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई थी।

First Published : November 25, 2008 | 11:40 PM IST