वित्त वर्ष 2021 में स्टील का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया और इस तरह से कंपनी को काफी सहारा मिला क्योंकि साल की पहली छमाही में कोविड के कारण पैदा हुए अवरोध से देसी उपभोग में कमी दर्ज हुई थी। ज्वाइंट प्लांट कमेटी (जेपीसी) के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच तैयार स्टील उत्पादों का निर्यात 1.078 करोड़ टन रहा और उसमें 29.1 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। इस अवधि में अर्धनिर्मित स्टील का निर्यात 66 लाख टन रहा और उसमें 133 फीसदी की भारी-भरकम उछाल दर्ज हुई।
जेपीसी के अधिकारियों ने कहा कि निर्यात अब तक के सर्वोच्च स्तर पर रहा। पिछला उच्चस्तर 2017-18 में देखने को मिला था और तब 1.161 करोड़ टन स्टील का निर्यात हुआ था।
स्टीलमिंट के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 21 में तैयार स्टील का निर्यात 1.165 करोड़ टन रहा जबकि अर्धनिर्मित स्टील का निर्यात 72.5 लाख टन रहा और उसमें क्रमश: एक साल पहले के मुकाबले 31 फीसदी व 153 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई।
जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक व विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, वित्त वर्ष 21 में 1.7 करोड़ टन से ज्यादा का निर्यात अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। इसमें से करीब 1.1 करोड़ टन का निर्यात पहली छमाही में हुआ। उन्होंने कहा, इस अवधि मेंं चीन ने ज्यादा मात्रा का आयात किया। इंस्टिट््यूट ऑफ स्टील डेवलपमेंट ऐंड ग्रोथ (आईएनएसडीएजी) के पूर्व महानिदेशक सुशीम बनर्जी ने कहा कि स्टील का निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर रहा।
साल की पहली छमाही में जब भारत में कोविड पर लगाम कसने के लिए लॉकडाउन हुआ तब कंपनियां निर्यात की ओर बढ़ीं। जिंदल स्टील ऐंड पावर के प्रबंध निदेशक वी आर शर्मा ने कहा कि कंपनी का निर्यात का आंकड़ा अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। वित्त वर्ष 21 की बिक्री में निर्यात का योगदान 35 फीसदी रहा। शर्मा ने कहा, हालांकि यह अभी बिक्री का 25 फीसदी है।
आचार्य ने कहा, पहली छमाही में देसी उपभोग 28 फीसदी नीचे रहा क्योंकि कोविड के कारण पाबंदी व सख्त लॉकडाउन था। पहली छमाही में निर्यात का अहम योगदान रहा। लॉकडाउन में नरमी के साथ देसी कारोबार ने जुलाई-अगस्त 2020 में रफ्तार पकड़ी और तीसरी व चौथी तिमाही (वित्त वर्ष 21) में उपभोग में सुधार हुआ। दूसरी छमाही में उपभोग में 15-16 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
कुल मिलाकर साल की समाप्ति उपभोग में 6.7 फीसदी की कमी और उत्पादन में 7.8 फीसदी की गिरावट के साथ हुई। हालांकि यह पिछले साल अप्रैल में वित्त वर्ष 21 के लिए लगाए गए अनुमान से बेहतर रहा क्योंकि तीसरी व चौथी तिमाही में मांग ने रफ्तार पकड़ी।
आचार्य ने कहा, जिस रफ्तार से रिकवरी हुई उसने हर किसी को चौकाया। मांग की अगुआई ऑटोमोटिव, अप्लायंसेज और अक्षय ऊर्जा के अलावा बुनियादी ढांचा व निर्माण, सड़क व राजमार्ग क्षेत्र ने की। हालांकि देसी मांग में बढ़ोतरी के साथ निर्यात भी मजबूत रहने की उम्मीद है क्योंकि वहां दाम अच्छा मिल रहा है।
आचार्य ने कहा, निर्यात से मिलने वाली कीमत देसी बाजार से ज्यादा है क्योंकि चीन, यूरोप व अमेरिका में कीमतें बढ़ी हैं।
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 21 की पहली छमाही में तैयार स्टील का निर्यात देसी मांग में सुस्ती के कारण बढ़ा, लेकिन आखिरी तिमाही में निर्यात में इजाफा ज्यादा कीमत मिलने के कारण हुआ। क्रिसिल का अनुमान है कि यह रफ्तार कायम रहेगी, जो तैयार स्टील का निर्यात इस वित्त वर्ष में 12 से 16 फीसदी तक और बढ़ाएगा।
एसआईपी निवेश घटकर 96,000 करोड़ रुपये रहा
कोविड-19 महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन का असर म्युचुअल फंड उद्योग पर भी देखा गया। वित्त वर्ष 2020-21 में म्युचुअल फंड का एसआईपी संग्रहण चार प्रतिशत घटकर 96,000 करोड़ रुपये रह गया। फायर्स में शोध प्रमुख गोपाल रेड्डी ने कहा कि आने वाले समय में कोरोना वायरस टीकाकरण की सफलता, उम्मीद से बेहतर आर्थिक परिदृश्य और अधिक आय जैसे कारकों का सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) पर प्रभाव रहेगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रहण, ऑटो और आवासीय बिक्री जैसे सकारात्मक संकेतकों के अलावा बीच बीच में लगने वाले लॉकडाउन के साथ ही आईआईपी और मुद्रास्फीति आंकड़े चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक प्रगति को प्रभावित कर सकते हैं।
इसमें कहा गया है कि मार्च में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान एसआईपी के जरिए कुल 96,080 करोड़ रुपये एकत्रित किए गए जबकि इससे पिछले साल 2019-20 में इसके जरिए 1,00,084 करोड़ रुपये जुटाए गए। ये आंकड़े एम्फी ने उपलब्ध कराए हैं। भाषा