भूमि अधिग्रहण : निजी कोयला खनिकों को मंजूरी देंगे राज्य!

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:22 AM IST

केंद्रीय कोयला मंत्रालय चाहता है कि खदान संपन्न राज्य ऐसे कानूनी ढांचे को चुनें जिसका इस्तेमाल मौजूदा वाणिज्यिक कोयला नीलामी के तहत निजी कोयला खनिकों द्वारा भूमि अध्रिहण पर अमल करने के लिए हो। कुछ खदान संपन्न राज्यों ने इसका विरोध किया था कि केंद्र निजी कोयला खनिकों के लिए भूमि अधिग्रहण की मंजूरी देने के उनके अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।
कोयला मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा है कि राज्य कोल बीयरिंग एरियाज (एक्वीजिशन ऐंड डेवलपमेंट) ऐक्ट, 1957 या राइट टु फेयर कम्पनसेशन ऐंड ट्रांसपरेंसी इन लैंड एक्वीजिशन, रीहैब्लिटेशन ऐंड रीसेटलमेंट (एलएएआर) ऐक्ट, 2013 में से एक का चयन कर सकते हैं। दोनों कानूनी ढांचों के तहत मुआवजा राशि समान है।
आगामी वाणिज्यिक कोयला नीलामी के तहत कोयला खनन प्रक्रिया आसान बनाने के प्रयास में केंद्र कोल बीयरिंग एरियाज ऐक्ट, 1957 के तहत भूमि अधिग्रहण की अनुमति दिए जाने पर विचार कर रहा था। इससे केंद्र को भूमि खरीदने और फिर इसे निजी खनिकों को पट्टे पर देने में मदद मिलेगी।
कोयला मंत्रालय में संयुक्त सचिव और वाणिज्यिक कोयला नीलामी के लिए नामित अधिकारी एम नागाराउ ने एक उद्योग बैठक के दौरान कहा, ‘केंद्र ऐसी पहल पर विचार कर रहा है जिसमें भूमि अधिग्रहण की अनुमति कोल बीयरिंग एरियाज (एक्वीजिशन ऐंड डेवलपमेंट) ऐक्ट, 1957 के तहत दी जाएगी और उसके बाद भूमि पट्टे पर निजी खनिकों को दी जाएगी।’ हालांकि छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों और कई स्थानीय कार्यकर्ता समूहों ने सीबीए ऐक्ट में किसी तरह के संशोधन के खिलाफ विरोध जताना शुरू कर दिया है। कई कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन संशोधन से भूमि और इससे हासिल होने वाले राजस्व पर राज्यों का अधिकार छिन जाएगा। सूत्रों का कहना है कि केंद्र के साथ इस महीने के शुरू में हुईं चर्चाओं के दौरान समान चिंताएं कुछ गैर-भाजपा शासित खदान संपन्न राज्यों द्वारा जताई गई थीं। इन चिंताओं को दूर करने के लिए कोयला मंत्रालय इस बारे में निर्णय राज्यों पर छोडऩे की योजना बना रहा है। इन चर्चाओं से अवगत एक अधिकारी ने कहा, ‘यह राज्यों पर निर्भर करेगा कि क्या वे संशोधित सीबीए ऐक्ट पर अमल करना और भूमि अधिग्रहण को असानाना बनाना चाहेंगे जिससे उनके राज्यों में निजी निवेश हो या फिर एलएएआर ऐक्ट के मौजूदा प्रावधानों के साथ बने रहना चाहेंगे।’
सीबीए ऐक्ट, 1957 भूमि अधिग्रहण के लिए कोयला भंडारों को शामिल करने और इनसे संबंधित मामलों के लिए है। इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत, भूमि अधिग्रहण सिर्फ कोयला खनन और खनन उद्देश्य से जुड़ी गतिविधियों के लिए सरकारी कंपनियों के लिए किया जाता है।
अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा, केंद्र निजी कोयला खनिकों के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया ‘विकेंद्रीकृत’ भी करेगा। हमने खदान संपदाओं से युक्त राज्यों के लिए प्रस्ताव रखा है कि इन राज्यों में भूमि अधिकारी निजी कोयला खनिकों के लिए भूमि खरीद की प्रक्रिया पर नजर रखें। केंद्र की इसमें कोई योगदान नहीं होगा और राज्यों के पास पूरा अधिकार होगा। अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (राष्ट्रीय खनन कंपनी कोल इंडिया समेत) द्वारा भूिम अधिग्रहण के लिए मंजूरी हालांकि केंद्र के अधीन बनी रहेगी।
केंद्र सरकार ने जून में वाणिज्यिक खनन और निजी कंपनियों द्वारा बिक्री के लिए कोयला खनन नीलामी शुरू की थी। विदेशी कंपनियों, गैर-खनन कंपनियों और बड़े खनिकों को आकर्षित करने के लिए बोली प्रक्रिया की शर्तें आसान बनाई गई थीं। नीलामी प्रक्रिया सरल बनाने और निवेशक दिलचस्पी आकर्षत करने के लिए मई में कोल माइंस स्पेशल प्रोवीजंस ऐक्ट, 2015 में भी संशोधन किया गया था।

First Published : September 24, 2020 | 1:28 AM IST