शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने निवेशकों को चेतावनी दी है कि वे फिनटेक ऐप्स या ऑनलाइन वेबसाइटों से डिजिटल गोल्ड न खरीदें। सेबी ने कहा है कि डिजिटल गोल्ड उसके किसी नियम या निगरानी के तहत नहीं आता, इसलिए इसमें बड़ा खतरा हो सकता है। अगर प्लेटफॉर्म में कोई गड़बड़ी हो जाए या कंपनी बंद हो जाए, तो निवेशक को अपना पैसा या सोना वापस पाना मुश्किल हो सकता है। सेबी ने लोगों को सलाह दी है कि वे सुरक्षित और नियामित तरीके से सोने में निवेश करें, जैसे –
ये सभी सेबी के नियमों के तहत आते हैं और इनमें धोखाधड़ी या नुकसान का जोखिम बहुत कम होता है।
Wealthy.in के को-फाउंडर आदित्य अग्रवाल का कहना है कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह जरूर जांचना चाहिए कि उनका डिजिटल गोल्ड कहां और कैसे रखा गया है। उन्होंने बताया कि सेबी की चेतावनी का मतलब यह नहीं है कि सभी डिजिटल गोल्ड प्लेटफॉर्म असुरक्षित हैं, बल्कि यह बताने के लिए है कि कौन से प्लेटफॉर्म सेबी के नियमों में आते हैं और कौन से नहीं। आदित्य अग्रवाल कहते हैं, “अगर कोई प्लेटफॉर्म सेबी के दायरे में नहीं आता, तो उस पर निवेशकों की सुरक्षा के नियम लागू नहीं होते।”
उन्होंने निवेशकों को कुछ आसान सलाह दी –
अगर आप डिजिटल गोल्ड में निवेश करते हैं, तो देखें कि क्या प्लेटफॉर्म स्वतंत्र ऑडिट रिपोर्ट (Third-Party Audit Report) या वॉल्ट सर्टिफिकेट जारी करता है, जिससे यह साबित हो कि आपका सोना सुरक्षित है? क्या वॉल्ट पार्टनर Brink’s या Sequel Logistics जैसी भरोसेमंद कंपनी है? अगर किसी प्लेटफॉर्म में पारदर्शिता नहीं है या उसने ऑडिट नहीं कराया है, तो निवेशकों को चाहिए कि वे अपना गोल्ड रिडीम कर लें या किसी भरोसेमंद प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट हो जाएं।
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Rurash Financials के सीईओ रंजीत झा ने कहा कि निवेश करते समय सुविधा के नाम पर सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सेबी की चेतावनी निवेशकों को यह याद दिलाने के लिए है कि बिना नियमों वाले प्लेटफॉर्म्स में जोखिम ज्यादा होता है। झा के अनुसार, “काउंटर पार्टी रिस्क का मतलब है कि डिजिटल गोल्ड ऐप या उसका वॉल्ट पार्टनर बंद हो सकता है या पैसे वापस न कर पाए। अगर ऐसा हुआ तो निवेशक अपना सोना वापस नहीं ले पाएंगे।” उन्होंने आगे कहा, “ऑपरेशनल रिस्क का मतलब है कि सिस्टम खराब होना या डेटा में गड़बड़ी आना। अगर ऐसा होता है, तो निवेशकों के पास कोई कानूनी सुरक्षा या शिकायत का रास्ता नहीं बचता।”
बॉम्बे चार्टर्ड एकाउंटेंट्स सोसाइटी की वाइस प्रेसिडेंट किंजल शाह के अनुसार, सेबी के नियमन में आने वाले गोल्ड ETF और EGR में निवेश करना ज्यादा सुरक्षित और भरोसेमंद होता है। उन्होंने बताया कि इन योजनाओं में असल सोना स्वतंत्र वॉल्ट (सुरक्षित तिजोरी) में रखा जाता है, उसका नियमित ऑडिट होता है और रिडेम्प्शन यानी सोना वापस लेने की पूरी प्रक्रिया साफ और तय होती है। इसके मुकाबले, डिजिटल गोल्ड पर किसी की निगरानी नहीं होती। इसमें यह भी तय नहीं होता कि जो सोना ऑनलाइन दिखाया जा रहा है, वह वास्तव में मौजूद है या नहीं। किंजल शाह ने यह भी बताया कि डिजिटल गोल्ड खरीदते समय 3% जीएसटी देना पड़ता है, जबकि गोल्ड ETF और EGR पर यह टैक्स नहीं लगता। यानी ये दोनों विकल्प ज्यादा सस्ते और पारदर्शी (ट्रांसपेरेंट) हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि किसी भी निवेश पोर्टफोलियो में 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा सोने का होना चाहिए। किंजल शाह कहती हैं कि डिजिटल गोल्ड छोटे निवेश के लिए तो ठीक है, लेकिन यह बिना किसी नियम या निगरानी (रेगुलेशन) के चलता है, इसलिए इसमें जोखिम ज्यादा होता है। उनका सुझाव है कि निवेशक धीरे-धीरे अपने निवेश को सेबी के तहत आने वाले विकल्पों, जैसे गोल्ड ETF या EGRs, की ओर शिफ्ट करें। इनमें सुरक्षा (Safety), पारदर्शिता (Transparency) और लिक्विडिटी (आसान खरीद-बिक्री) — तीनों चीजें एक साथ मिलती हैं, जिससे निवेशक का पैसा ज्यादा सुरक्षित रहता है।