एक हफ्ते में 20 फीसदी चढ़ा मौसमी का बाजार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 7:45 PM IST

दिल्ली की मंडियों में पिछले दो महीनों से चल रही मौसमी की तेज आवक सितंबर की शुरुआत होते ही थमने लगी है और इस वजह से इसकी कीमतों में एक बार फिर से बढ़ोतरी शुरू हो गई है।


रमजान का महीना होने और आवक में 7 से 8 गुना कमी हो जाने से मौसमी की कीमतों में पिछले सप्ताह से अब तक 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई है। एबीसी फ्रूट कंपनी के राजीव ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि मौसमी का सीजन खत्म होने को आ रहा है। इसलिए इसकी आवक और मांग भी कम होती जा रही है।

अक्टूबर के अंत तक तो मौसमी की आवक बिल्कुल ही खत्म हो जाएगी। रमजान के चलते मांग बढ़ने से कीमतों में हुई बढ़ोतरी कुछ दिनों की है। अक्टूबर के मध्य तक मौसमी बाजार से गायब हो चुकी होगी। आजादपुर मंडी के थोक विक्रेताओं ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि दिल्ली की मंडियों में अप्रैल और मई के दौरान मौसमी की शुरुआती आवक 300 से 400 टन थी।

तब मौसमी की कीमत 1500 से 1800 रुपये प्रति क्विंटल थी। लेकिन जुलाई और अगस्त के महीने में मौसमी की आवक में सुधार आने से इसकी आवक पिछले साल की तुलना में लगभग 70 से 80 फीसदी बढ़कर 900 टन प्रतिदिन हो गई थी। इसकी कीमतें भी 1500-1800 रुपये से घटकर 700 रुपये प्रति क्विटंल हो गई थी। लेकिन सिंतबर की शुरुआत में मौसमी की आवक फिर से धीमी हो गई है।

मौसमी के थोक विक्रेता रामभजन तिवारी बताते है कि अब तो सिर्फ रमजान के महीने में ही मौसमी का कारोबार बचा है। इस समय मंडी में 12 से 15 टन वाली चार से पांच गाड़ियां ही मौसमी को लेकर आ रही है।

रमजान खत्म होने के बाद इनमें और कमी आ जाएगी। एपीएमसी के आंकड़ों के हिसाब से दिल्ली की मंडियों में इस समय मौसमी की आवक लगभग 150 टन प्रतिदिन और कीमत 800 से 900 रुपये प्रतिक्विंटल है।

दिल्ली के बाहर के राज्यों में अगर मौसमी की कीमत देखें तो हरियाणा में भी मौसमी की कीमत पिछले महीने की अपेक्षा 25 फीसदी बढ़ गई है। महाराष्ट्र में भी मौसमी की कीमत में पिछले महीने की अपेक्षा 20 फीसदी तक ज्यादा हो गई है। जबकि उत्तर प्रदेश में मौसमी की कीमत 30 फीसदी तक गिर गई है।

First Published : September 3, 2008 | 11:53 PM IST