डॉलर के मुकाबले रुपया 0.65 फीसदी गिरकर आज 88.21 पर बंद हुआ, जो इसका अभी तक का सबसे निचला स्तर है। गुरुवार को रुपया 87.63 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी शुल्क लगाए जाने की चिंता से विदेशी पूंजी निकासी बढ़ी है जिसका असर रुपये पर भी पड़ा।
एशियाई मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले इंडोनेशियाई रुपिया के बाद भारतीय रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। इससे पहले 5 अगस्त को रुपये ने 87.80 का निचला स्तर छुआ था जबकि इस साल फरवरी में इंट्राडे में यह 87.95 तक पहुंच गया था। अगस्त में रुपये में 0.66 फीसदी की नरमी आई है, जो मई के बाद किसी महीने में सबसे ज्यादा गिरावट है। इस साल अभी तक रुपये में 3.02 फीसदी की गिरावट आई है और एशियाई मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन रहा।
डीलरों ने बताया कि दिन के कारोबार में रुपया 88.31 डॉलर प्रति डॉलर तक पहुंच गया जिसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ा। इससे नुकसान को कुछ हद तक कम करने में मदद मिली। रुपये में गिरावट से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा और इस तरह शुल्क के कुछ नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकेगा।
भले ही अमेरिका को भारतीय निर्यात सकल घरेलू उत्पाद का 2 फीसदी से थोड़ा ही अधिक हो मगर उच्च शुल्क से रत्न एवं आभूषण, चमड़ा और वस्त्र जैसे क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे काफी छंटनी होने की आशंका है।
शिन्हान बैंक के ट्रेजरी प्रमुख कुणाल सोधानी ने कहा, ‘शेयर बाजार से निकासी, भारत पर ट्रंप शुल्क का दबाव, महीने के अंत में डॉलर की मांग और रुपया-युआन की चाल से रुपये पर दबाव बना हुआ है। 87.95 का स्तर टूट गया, आगे कुछ समय तक रुपये में नरमी बनी रह सकती है।’
रुपया 88.5-89 डॉलर तक जा सकता है। बाजार के भागीदारों ने कहा कि रिजर्व बैंक और सरकार धीरे-धीरे होने वाले अवमूल्यन से सहज हो सकते हैं लेकिन उम्मीद है कि आरबीआई कुछ कदम जरूर उठाएगा।
इस बीच 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड बढ़कर 6.57 फीसदी हो गई। गुरुवार को यह 6.53 फीसदी रही थी। साप्ताहिक नीलामी में कट-ऑफ यील्ड बाजार की उम्मीदों से अधिक रहने के कारण दिन के कारोबार में यह 6.60 फीसदी तक पहुंच गया था।