चावल खरीद 243 लाख टन, नए रिकार्ड के आसार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 7:53 PM IST

सरकार द्वारा बेहतरीन सरकारी खरीद मूल्य दिए जाने की वजह से खरीफ के इस मौसम (अक्टूबर-सितंबर) में सरकार की चावल खरीद में पिछले साल की तुलना में 18 प्रतिशत की बढोतरी होने की उम्मीद है।
इस साल 9 मार्च को कुल सरकारी खरीद 243.6 लाख टन हो गई। इस सत्र के अंत तक सरकारी खरीद नए रिकॉर्ड बना सकती है तो करीब 290-300 लाख टन का होगा। पिछले साल कुल खरीद 284 लाख टन रही थी।
यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल 2008-09 में चावल का कुल उत्पादन अब तक के सर्वाधिक स्तर 988.9 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान है। चावल के कुल स्टॉक में सबसे ज्यादा योगदान करने वाला राज्य पंजाब है, जहां से 83.8 लाख टन चावल आया है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ का नंबर आता है।
अगर हरियाणा और छत्तीसगढ़ को छोड़ दें तो हर जगह सरकारी खरीद ज्यादा हुई है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक अधिकारी ने कहा कि हरियाणा में कम खरीद की प्रमुख वजह यह है कि यहां के किसान बेहतरीन किस्म के चावल के उत्पादन की ओर आकर्षित हुए, जिसमें बासमती चावल भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि चावल की खरीद 290-300 लाख टन के साथ नए रिकॉर्ड बनाएगी।गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध के चलते निर्यातक इसमें रुचि नहीं ले रहे हैं। सरकार ने मार्च 2008 में इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। इसका उद्देश्य महंगाई पर काबू पाना था।
अधिकारप्राप्त मंत्रि समूह की बैठक पिछले सप्ताह हुई थी, उसमें गेहूं के निर्यात को सैध्दांतिक मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन चावल के निर्यात पर से प्रतिबंध नहीं हटाया गया।सरकार ने धान की ग्रेड ए किस्म के लिए सरकारी खरीद मूल्य 930 रुपये प्रति क्विंटल रखा है और चालू सत्र में सामान्य धान की खरीद के लिए समर्थन मूल्य 900 रुपये प्रति क्विंटल रखा गया है।
इस लिहाज से पिछले साल के समर्थन मूल्य की तुलना में इस साल 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।  2008-09 सत्र के लिए 10,000 टन चावल की खरीद को राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य घोषित किया गया है।

First Published : March 12, 2009 | 10:40 PM IST