रिफ्रैक्टरी निर्यात में 25 प्रतिशत गिरावट के आसार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 9:45 PM IST

यूरोपीय बाजारों से मांग में आई भारी कमी की वजह से 3,500 करोड़ रुपये के भारतीय रिफ्रैक्टरी उद्योग के निर्यात में इस वित्त वर्ष दौरान 25 प्रतिशत गिरावट के अनुमान हैं।
बहरहाल यह उम्मीद की जा रही है कि वित्त वर्ष 2009-10 की दूसरी छमाही में स्टील की वैश्विक मांग बढ़ेगी, तभी इस घाटे की भरपाई हो सकेगी। रिफ्रैक्टरी एक गैर धात्विक पदार्थ है, जिसकी मजबूती उच्च तापमान में भी बनी रहती है। इसका बड़े पैमाने पर प्रयोग स्टील, एल्युमीनियम और अन्य धातुओं के ढांचे के निर्माण में होता है।
स्टील की मांग से इसका सीधा जुड़ाव होता है क्योंकि प्रत्येक टन स्टील उत्पादन में करीब 10-12 किलोग्राम रिफ्रैक्टरी सामग्री का प्रयोग होता है। हालांकि तकनीकी सुधारों के बाद से रिफ्रैक्टरी की खपत कम हुई है, जिसकी खपत एक दशक पहले प्रति टन स्टील के उत्पादन में 30 किलोग्राम थी। 
इंडियन रिफ्रैक्टरी मेकर्स एसोसिएशन (आईआरएमए) के निदेशक अनिरबन दास गुप्ता ने कहा, ‘नवंबर के बाद से यूरोप से मांग में कमी आनी शुरू हुई और इसमें पिछले पांच महीने के दौरान नाटकीय गिरावट आई है। वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से ऑर्डर में कमी आई है और यह कुछ और महीने तक बने रहने के आसार हैं।’ वर्तमान में भारत अपने उत्पादन का करीब 10 प्रतिशत हिस्सा निर्यात करता है।

First Published : March 26, 2009 | 11:17 PM IST