मूल धातुओं की कीमतें इस सप्ताह के दौरान और गिर सकती हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है कि इसकी वैश्विक मांग में कमी आई है।
हालांकि यह अनुमान लगाया जा रहा है कि स्थितियों को देखते हुए चीन अपना सरकारी भंडारण बढाने के लिए कुछ खरीदारी करेगा। मूल धातुओं के विश्लेषक नवनीत दमानी का मानना है कि शुरुआती एक या दो सत्र में औद्योगिक जिंस की कीमतों में बढ़त के बाद का करेक्शन होगा।
इसके साथ ही इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि चीन अपने आधारभूत ढांचे के विकास की योजनाओं को फिर से शुरू कर सकता है, जिसके चलते मूल धातुओं की मांग में बढ़ोतरी होगी। लेकिन अमेरिका, यूरोप और जापान में मांग गिर जाने की वजह से इस बढ़त का कोई खास असर नहीं पडेग़ा।
एक अन्य विश्लेषक ने कहा कि रिपोर्टों के मुताबिक अमेरिका में पिछले 28 साल के दौरान उपभोक्ताओं का मनोबल नहीं कमजोर हुआ था। इसकी प्रमुख वजह है कि लोगों की नौकरियां जा रही हैं और आर्थिक मंदी और गहरा रही है। जब तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था गति नहीं पकड़ लेती है, अन्य देशों की अर्थव्यवस्था को भी कोई समर्थन नहीं मिल सकेगा। इसका सीधा असर मूल धातुओं की कीमतों पर पड़ेगा।
हाल ही के एंजेल ब्रोकिंग के एक विश्लेषण में दिखाया गया है कि चीन में विकास की गतिविधियां फिर से बड़े पैमाने पर शुरू होंगी। वहां पर 586 बिलियन डॉलर का प्रोत्साहन पैकेज 2 साल के लिए दिया गया है, जिसका लक्ष्य बुनियादी परियोजनाओं पर काम करना ही है। इसके काम के शुरू होने के बाद से मूल धातुओं की मांग में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी।
ब्रोकिंग फर्म ने भविष्यवाणी की है कि वर्तमान कैलेंडर साल की पहली छमाही के दौरान मूल धातुओं की मांग कमजोर रहेगी, लेकिन नुकसान की भरपाई दूसरी छमाही में हो जाएगी। पिछले सप्ताह लेड और एल्युमीनियम को छोड़कर सभी मूल धातुओं का कारोबार लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में मुनाफावसूली के चलते कमजोर रहा और कीमतें गिरीं।
तांबा और जिंक में 1 प्रतिशत की गिरावट आई वहीं निकेल और टिन क्रमश: 2.6 प्रतिशत और 6 प्रतिशत नीचे चले गए। हालांकि लेड और एल्युमीनियम की कीमतों में क्रमश: 3.3 और 3.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।