आमतौर पर सस्ता रहने वाला पाम ऑयल दूसरे खाद्य तेलों के मुकाबले महंगा मिलने लगा तो कारोबारी और उपभोक्ताओं ने पाम ऑयल से दूरी बनाना शुरु कर दी। कीमत अधिक होने के कारण मांग में आयी गिरावट के चलते भारत में पाम तेल का आयात लगभग 14 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। पाम तेल की जगह सस्ते प्रतिद्वंद्वी सोया तेल का इस्तेमाल करने से आयात में भारी गिरावट आयी है।
पिछले कुछ महीनों से पाम ऑयल के दाम दूसरे खाद्य तेलों की अधिक है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में बुधवार को पाम ऑयल का भाव 1035.11 डॉलर प्रति टन था जबकि सोया तेल का भाव 981 डॉलर प्रति टन बोले जा रहे हैं। एक साल पहले पाम तेल 806.5 डॉलर प्रति टन था जबकि सोया तेल के दाम 1073 डॉलर प्रति टन था । इस तरह देखा जाए तो एक साल में पाम तेल के दाम करीब 28 फीसदी बढ़े और सोया तेल के दाम में करीब 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। दिसंबर 2024 के पहले सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल के दाम बढ़कर 1208.16 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गए थे।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाम तेल की ऊंची कीमतों का असर घरेलू बाजार पर भी पड़ रहा है । बुधवार, 6 फरवरी को आयातित खाद्य तेलों के दाम ( पांच फीसदी जीएसटी के बिना ) रिफाइंड प्लांट पाम तेल 1327 रुपये, पाम तेल इम्पोर्टेड 1328 रुपये, रिफाइंड सनफ्लावर (सूरजमुखी) तेल 1355 रुपये और रिफाइंड सोया तेल 1256 रुपये प्रति 10 किलोग्राम था। अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अनुसार अमूमन पाम तेल दूसरे खाद्य तेलों की अपेक्षा 30-40 फीसदी सस्ता रहता है लेकिन पिछले कुछ महीनों से उसके दाम दूसरे तेलों की अपेक्षा अधिक होने की वजह से पाम तेल के आयात में गिरावट होने का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था।
जनवरी में पाम तेल का आयात पिछले महीने की तुलना में 46 फीसदी गिरकर 272,000 मीट्रिक टन रह गया, जो मार्च 2011 के बाद सबसे कम है। भारत ने अक्टूबर 2024 में समाप्त होने वाले विपणन वर्ष में हर महीने औसतन 750,000 टन से अधिक पाम तेल का आयात किया गया है। जनवरी में सोया तेल का आयात एक महीने पहले की तुलना में 4 फीसदी बढ़कर 438,000 मीट्रिक टन हो गया, जो सात महीनों में सबसे अधिक है, जबकि सूरजमुखी तेल का आयात 9.5 फीसदी बढ़कर 290,000 मीट्रिक टन हो गया। पाम तेल में की कम शिपमेंट के कारण जनवरी में देश का कुल खाद्य तेल आयात 15.6 फीसदी घटकर 10 लाख टन रह गया, जो 11 महीनों में सबसे कम है। पाम तेल आमतौर पर सोया तेल वायदा और सूरजमुखी तेल की तुलना में छूट पर कारोबार करता है, लेकिन गिरते स्टॉक और बायोडीजल बनाने में बढ़ रहे इस्तेमाल ने इसके दाम प्रतिद्वंद्वी तेलों से ऊपर उठा दिए हैं, जिनकी आपूर्ति प्रचुर मात्रा में है।
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया जनवरी में दूसरे खाद्य तेलों की अपेक्षा पाम ऑयल महंगा होने के कारण लोग रिफाइंड सोया ऑयल को की तरफ रुख कर रहे हैं। प्रतिस्पर्धी तेलों के मुकाबले दाम ऊपर रहने के कारण पाम आयल का आयात 14 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। पाम आयल की कीमतें कम नहीं होती तो आयात के कई वर्षों के रिकॉर्ड टूट सकते हैं । भारत के कुल खाद्य तेल आयात में पाम तेल का हिस्सा पारंपरिक रूप से आधे से अधिक होता है, लेकिन एक दशक से भी अधिक समय में पहली बार इसका हिस्सा 30 फीसदी से नीचे आ गया है।
एशियाई पाम ऑयल एलायंस के अध्यक्ष और सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के विशेष सलाहकार अतुल चतुर्वेदी ने पाम ऑयल की महंगाई को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अगर सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे सस्ते तेलों की तुलना में पाम ऑयल की कीमतें ऊंची रहीं तो बाजार में इसकी हिस्सेदारी कम होती रहेगी। पाम तेल बाजार में अपनी हिस्सेदारी खो रहा है और सोयाबीन तेल काफी तेजी से बढ़ रहा है। भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि अर्जेंटीना, ब्राजील से सोया तेल एवं रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात करता है।